क्रांतिज्योति सावित्री बाई फुले की जयंती का हुआ आयोजन

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नगर में क्रांति ज्योति माता सावित्रीबाई फुले की 3 जनवरी को प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी मरार माली समाज के तत्वावधान में 193 वीं जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नपाध्यक्ष श्रीमती सरिता मनोज दांदरे, पूर्व नपाउपाध्यक्ष दीपलता देशमुख व अन्य समाज के वरिष्ठ जनों की उपस्थिति में मनाया गया। जिसमें समस्त स्वजातीय बंधु वार्ड नंबर 1 स्थित क्रांतिसूर्य महात्मा ज्योतिबा फुले चौक पर एकत्रित हुए जहां महात्मा ज्योतिबा फुले माता सावित्रीबाई फुले के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया गया। तत्पश्चात उन्हें पुष्पांजलि देकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके कार्यों को याद किया गया। जहाँ से सभी वार्ड नंबर 6 लालबर्रा रोड स्थित समाज के सामुदायिक भवन में पहुंचे जहां पर मंचीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान उपस्थित जनों के द्वारा माता सावित्रीबाई फुले पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि माता सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। उनका विवाह 1841 में महात्मा ज्योतिबा फुले से हुआ था। माता सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिबा फुले को भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों का शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। माता सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे स्कूल जाती थीं तो विरोधी लोग उनपर पत्थर मारते थे गंदगी फेंक देते थे उस समय बालिकाओं के लिये स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था सहित अन्य बातें कहते हुए समाज को हर क्षेत्र में मजबूत करने के लिए प्रेरित किया गया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री प्रदीप जायसवाल अपने कार्यकर्ताओं के साथ महात्मा ज्योतिबा राव फुले चौक पर माल्यार्पण कार्यक्रम में शामिल हुए। जहां उनके द्वारा माता सावित्री फुले महात्मा ज्योतिबा राव फुले के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उनके द्वारा विषम परिस्थिति में किए गए कार्यों को याद कर श्रध्दांजलि अर्पित की गई। पद्मेश से चर्चा में समाज अध्यक्ष अशोक मरार ने बताया कि प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष में 193 वीं जयंती माता सावित्रीबाई फुले की हमारे द्वारा मनाई जा रही है जिसमें महिला प्रकोष्ठ को कमान दी गई है उनके माध्यम से संदेश दिया जा रहा है कि महिला कहीं पीछे नहीं है। वही माता सावित्री का जो संघर्ष रहा करोड़ दलित शोषित पीड़ित के लिए जिन्हें उन्होंने शिक्षा देने का काम किया सभी नारी को शिक्षा अध्ययन करने का अधिकार पहले नहीं था ऐसे में माता सावित्री और ज्योतिबा फुले ने देखा की नारी पिछड़ रही है तो पाठशाला की शुरुआत करी आज हम उन्हें श्रद्धांजलि देने उपस्थित हुए हैं। वही राजकुमार चौधरी ने कहा कि सुबह से जयंती अवसर पर महात्मा फुले की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर माता सावित्री के छायाचित्र का पूजन किया गया और मंचीय कार्यक्रम फुले सामुदायिक भवन में आयोजित किया गया। जिसमें महिला प्रतिनिधि के द्वारा पूरा कार्यक्रम संचालित कर समाज व देश को संदेश दिया गया कि माता सावित्रीबाई फुले ने देश का पिछड़ापन दूर करने शिक्षा अध्ययन करवाया था उनके छुटे हुए अधूरे कार्यों को हमारे द्वारा पूरा किया जाएगा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाज पदाधिकारी एवं स्वजातीय बंधु मौजूद रहे।

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