जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर खवासा वन परिक्षेत्र की पिंडरई बीट कक्ष क्र. 355 के जंगल में बुधवार शाम करीब 5 बजे बाघ ने हमला कर मवेशी चरा रहे एक चरवाहे मिट्ठन पुत्र सीताराम अवसरे (49) को गर्दन से दबोच लिया।
घायल की चीख-पुकार सुनकर कुछ दूर खेत में काम कर रहे लोगों ने मौके पर पहुंचकर शोरगुल किया। इसके बाद हमलावर बाघ जंगल लौट गया। हिम्मत जुटाकर स्थानीय लोगों ने घायल मिट्ठन को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुरई पहुंचाया, जहां डाक्टर ने घायल को मृत घोषित कर दिया।
खवासा रेंजर घनश्याम चतुर्वेदी ने बताया कि शव का पोस्ट मार्टम कराया जा रहा है। मृतक के परिवार को 10 हजार रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करा दी गई।घटना की सूचना मिलने के बाद बरघाट विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया भी कुरई अस्पताल पहुंच गए। इस दौरान कुरई थाना प्रभारी लक्ष्मण झारिया, वन परिक्षेत्र अधिकारी घनश्याम चतुर्वेदी सहित पुलिस और वन विभाग का अमला मौजूद रहा।
विधायक ने कलेक्टर को अवगत कराया
बाघ के हमले एक व्यक्ति की मौत की जानकारी मिलने पर कुरई पहुंचकर बरघाट विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया ने कलेक्टर क्षितिज सिंघल से चर्चा कर लगातार क्षेत्र में लोगों के बाघ का शिकार होने के विषय में गंभीरता से कदम उठाने की बात कही। विधायक ने कलेक्टर से आग्रह किया कि वन अधिकारियों की बैठक लेकर ऐसी घटनाओं को रोकने आवश्यक प्रयास करने के निर्देश दिए जाएं। विधायक ने कलेक्टर को अवगत कराया कि दो दिन पहले इसी क्षेत्र में एक अन्य व्यक्ति बाघ के हमले में घायल हो गया था, जिसका समुचित उपचार भी अभी तक नहीं सका है। इस आशय की जानकारी विधायक काकोड़िया ने दूरभाष पर दी गई।
बाघ की दस्तक से ग्रामीणों में दहशत
दक्षिण वनमंडल के खंडासा, पीपरवानी, पिंडरई क्षेत्र में जंगल के करीब बीते कुछ दिनों से बाघ की मौजूदगी बनी हुई है। बाघ आए दिन पालतू मवेशियों को निशाना बना रहा है। साथ ही जंगल में चरवाहे पर हमला कर घायल कर रहा है। 19 सितंबर को खंडासा निवासी चरवाहा यशवंत राव पर बाघ ने हमला कर मौत के घाट उतार दिया। बाघ ने जिस जगह यशवंत को मारा था, वह महाराष्ट्र की सीमा का जंगल था।
एक माह के अंतराल में दूसरे चरवाहे की जान बाघ के हमले में चली गई है। चार अक्टूबर को बाघ ने परासपानी निवासी एक चरवाहे पर हमला कर घायल कर दिया। वहीं पिछले माह बाघ ने जामुनपानी निवासी चरवाहा कृष्ण गोपाल पर हमला कर घायल दिया। वन विभाग द्वारा क्षेत्र में गश्त बढ़ाने के साथ ही ग्रामीणों को जंगल में अकेले नहीं जाने देने की समझाइश दी जा रही हैं।