गर्मी के बढ़ते ही देसी फ्रिज की बाजार में बड़ी मांग

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गर्मी का मौसम आते ही देशी फ्रिज अर्थात मटके की डिमांड बढऩे लगी है। हालांकि कुम्हार इस मर्तबा फिर अपनी लकड़ी व मिट्टी की मांग को लेकर शासन की तरफ देख रहा है। मगर उसे शासन से किसी प्रकार की कोई मदद नही मिल रही है। जिसकी वजह से कुम्हार फिर एक बार महंगाई की मार को झेलने विवश नजर आ रहा है। कुम्हारों का कहना है कि अगर उन्हे शासन से कोई मदद मिले तो निश्चित ही हमे काफी राहत रहेगी वही देशी फ्रिज मटका सुराई भी हम कम दाम पर बेच पायेंगे।

पद्मेश से चर्चा करते हुये कुम्हार सुरेश ढ़ेकने ने बताया कि मिट्टी के लिये हम लोग सरकारी घास की भूमि मांग रहे है जो हमारे द्वारा ज्ञापन के माध्यम से शासन प्रशासन को बताई जा चुकी है। इसी तरह हमे लकड़ी के चढ्ढे तक कई वर्ष से वन विभाग से अनुदान पर प्राप्त नही हो रहा है। ऐसे में हम लोग लकड़ी व मिट्टी बाहर से बुलाकर अपने पुस्तैनी धंधे को करना पड़ रहा है। ऐसे में हमे लागत निकालने के लिये इन्हे थोड़े अधिक दाम पर बेचकर अपना गुजारा करना पड़ रहा है। महंगाई के इस दौर में पहले जो मटके हम काफी कम दाम में बेचते थे अब उनके दाम दुगने हो चुके है। ऐसे में शासन प्रशासन को हमारी इस समस्या का हल करना चाहिये।

इसी तरह अनुराग ढ़ेकने ने पद्मेश को बताया कि अन्यत्र जिले में कुम्हारो के बच्चो को  भवन बनाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वो मटका, सुराई, दिया सहित अन्य प्रकार के मिट्टी के बर्तनो को एक नई कला से सीख सके। मगर हमारे जिले में ऐसी कोई व्यवस्था फिलहाल नही है। हम लोग पढ़े लिखे है हम भी अपना पुस्तैनी धंधा करना चाहते है ताकि हमारे माता पिता को सहयोग करे मगर इस तरह के प्र्रशिक्षण की हमारे जिले में कोई व्यवस्था नही है।

कुम्हारो की मांग जायज – ओमप्रकाश

इसी तरह मटका खरीदने आये ओमप्रकाश मेश्राम ने बताया कि इस मर्तबा मटके दाम में काफी इजाफा हो गया है। जिसकी वजह कुम्हारो की जायज मांग है। अगर शासन प्रशासन उन्हे लकड़ी व मिट्टी उपलब्ध करा दे तो निश्चित ही मिट़टी से बनने वाली सुराई मटका व अन्य सामान की कीमत काफी कम रहेगी। हम भी मांग करते है कि कुम्हारो की इस समस्या का स्थाई हल हो जिससे हम जैसे गरीब लोग भरी गर्मी के दौर से इस देशी फ्रिज का पानी पीकर अपनी प्यास बुझा सके।

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