अमेरिका में मंदी की संभावनाओं के बीच गोल्डमैन सॉक्स ने साल 2023 के लिए अमेरिकी आर्थिक विकास अनुमानों में कटौती की है। हाल ही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में फिर से बढ़ोतरी की संभावनाओं को देखते हुए यह कमी की गई है। एक नोट में कई दूसरे अर्थशास्त्रियों ने एक नोट में लिखा है कि 2023 में अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि होगी। पहले के अनुमान में इसे 1.5 प्रतिशत रखा गया था। यानी सीधे-सीधे 25 फीसदी से ज्यादा की कमी का अनुमान जताया जा रहा है। वहीं, 2022 के अनुमान को 0 प्रतिशत पर अपरिवर्तित छोड़ दिया गया था। विशेषज्ञ का कहना है कि यह मंदी के खतरे को और बढ़ाने वाले संकेत हैं।
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि हाल ही की वित्तीय स्थितियों को देखते हुए यह उच्च ब्याज दर अगले साल विकास और रोजगार के लिए काफी हद तक खराब दृष्टिकोण का संकेत देता है। उन्होंने कहा कि हमारा विकास पूर्वानुमान आम सहमति से थोड़ा नीचे है। हमारा मानना है कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेट हाइक जारी रहेगा और इसका असर आगे देखने को मिलेगा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व का रेट हाइक ट्रेंड इस वर्ष अर्थशास्त्रियों और निवेशकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण फोकस प्वाइंट रहा है। केंद्रीय बैंक अनियंत्रित और उच्च मुद्रास्फीति को कम करने के लिए लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए है।
गोल्डमैन ने कम वृद्धि अनुमान के साथ बेरोजगारी दर का पूर्वानुमान भी लगाया है। उसके अनुमान के मुताबिक 2022 के अंत तक यह लगभग 3.7 प्रतिशत होगा, जबकि पहले यह 3.6 प्रतिशत था। बेरोजगारी दर 2023 के अंत तक बढ़कर 4.1 प्रतिशत पहुंच जो पहले 3.8 प्रतिशत थी। साल 2024 के अंत तक यह बढ़कर 4.2 प्रतिशत तक जा सकती है, जो पहले के अनुमान में 4 फीसदी थी।
जानकारों के मुताबिक अगर अमेरिका में स्लो डाउन या मंदी आती है तो भारत पर इसका काफी खराब असर होगा। अमेरिका के बड़े व्यापार साझेदारों में भारत एक है। भारत से बड़े पैमाने पर उपभोक्ता वस्तुओं का निर्यात अमेरिका को होता। अगर अमेरिका में इकोनॉमिक स्लो डाउन होगा तो उपभोग घटेगा और सीधा सीधा असर भारत पर होगा। साथ ही अगर अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ती है तो भारत के आईटी पेशवरों पर और उनकी कमाई पर इसका असर देखने को मिलेगा।