छठ पर्व पर डूबते सूर्य को दिया गया अर्ध्य

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हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी रविवार को छठ पर्व पूरे आस्थाभाव के साथ मनाया गया। छठ पर्व को मानने वाले बड़ी संख्या में लोग नगर के वैनगंगा नदी में पहुंचे और पूरी पूजा पद्धति को संपन्न करते हुए डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। छठ पर्व को मानने वाले लोग पूरे परिवार के साथ डूबते सूर्य को अर्ध्य देने के लिए हर वर्ष पहुंचते हैं वही दूसरे दिन सुबह के समय उगते सूर्य को अर्ध्य देकर छठ पूजा को संपन्न किया जाता है। आज रविवार को नदी व जलाशयों के किनारे भक्त पूजन सामग्री, फल आदि लेकर पहुंचे और विधि-विधान के साथ सूर्य को संध्या अर्घ्य देकर परिवार में सुख-शांति और संपन्नता की कामना की। इसी तरह जिलेभर में छठ पर्व का उत्साह देखने को मिल रहा है। इससे पहले घर-घर छठी मइया के गीत बजे ,तो वही ठेकुआ प्रसाद तैयार किया गया।आपको बताए कि खासकर बिहार और उत्तरप्रदेश में मनाए जाने वाले इस चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत 17 नवंबर से हुई थी।आज सोमवार को भक्त उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पूजा संपन्न करेंगे। उगते हुए सूर्य को तो अन्य दिनों में भी अर्घ्य दिया जाता है, लेकिन छठ एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें डूबते हुए सूर्य को भी अर्घ्य देने की परंपरा है। रविवार को बड़ी संख्या में महिलाओं ने मोती गार्डन, वैनगंगा नदी के तट पर सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया और परिवार में सुख-शांति की प्रार्थना की।

आज उगते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य
मान्यता यह है कि सूर्य जब अस्त होता है, तो वह अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा (सूर्य की अंतिम किरण) के साथ रहते हैं, जिन्हें अर्घ्य देने से मनोवांछित फल मिलता है। रविवार को कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया। वहीं, आज 20 नवंबर को कार्तिक शुक्ल सप्तमी के दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसे ऊषा अर्घ्य या उदीयमान सूर्य अर्घ्य कहा जाता है। इस तरह इन दोनों दिनों में अर्घ्य देने के बाद ही छठ व्रत संपन्न होता है। बताया जा रहा है कि सूर्य की पूजा मुख्य रूप से तीन समय विशेष लाभकारी होती है। मान्यता है कि सुबह सूर्य की आराधना स्वास्थ्य को बेहतर करती है। मध्यान्ह की आराधना नाम व यश देती है। जबकि सायंकाल की आराधना संपन्नता प्रदान करती है। अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है।

सुख समृद्धि के लिए रखा निर्जला व्रत,
आपको बताए कि हर साल कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है। मुख्य रूप से इस पर्व को बिहार झारखंड और पूर्वी उत्तरप्रदेश में मनाया जाता है। इस पर्व में 36 घंटे निर्जला व्रत रख सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्ध्य दिया जाता है। मान्यता है छठ पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। खासकर इस व्रत को संतानों के लिए रखा जाता है। परिवार की सुख समृद्धि और संतान की खुशहाली के लिए पूजा की जाती है। इसी प्रकार नगर के मोती गार्डन में भी महिलाओ द्वारा पूरे आस्था भाव के साथ छठ पर्व को मनाया गया।

यह बहुत बड़ा त्यौहार होता है- आशा तिवारी
छठ पर्व को लेकर की गई चर्चा के दौरान व्रतधारी महिला श्रीमती आशा तिवारी ने बताया कि छठ पूजा का बहुत बड़ा महत्व है इसमें 3 दिन का उपवास रहता है। पहले दिन हम लोग नहाये खाये करते हैं। दूसरे दिन खरना होता है इसमें खीर का प्रसाद होता है और उसके बाद से निर्जला व्रत प्रारंभ होता है, इस पर्व में उगते सूर्य को और डूबते सूर्य को भी अर्ध्य दिया जाता है। बिहारी लोगों का यह बहुत बड़ा त्यौहार होता है परिवार की सुख समृद्धि, खुशहाली और बच्चों की संपन्नता की कामना के साथ इस पर्व को मनाया जाता है।अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पारण होने के बाद जलपान ग्रहण किया जाता है।उन्होंने आगे बताया कि छठ पूजा विधि विधान के साथ मनाई जाती है। महिलाएं संकल्प लेकर तीन दिन पहले से पूजा शुरू कर देती हैं। छठ पूजा में अधिक संख्या में मौसमी फल और अलग-अलग तरह के पकवान रखे जाते हैं। फल और पकवान का इस पूजा में विशेष महत्व होता है। कल उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व का समापन होगा।

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