जब जिले में राईस मिलर्स पर्याप्त, तो बाहर जिलों के मिलर्स को क्यो दी जा रही धान?

0

जिले के राईस मिलर्स जिला वितरण अधिकारी की कार्य प्रणाली से खासे नाराज हैं। जहां समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान की मिलिंग के लिए जिले में पर्याप्त राइस मिलर्स होने के बावजूद भी शेष बची धान मिलिंग के लिए मंडला सहित अन्य जिलों के राईस मिलर्स को धान दी जा रही है। जिससे न सिर्फ शासन को 8 रु प्रति किलोमीटर की दर से क्षति हो रही है। बल्कि जिले के राईस मिलर्स को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।जिससे उन पर बेरोजगार होने का संकट आ गया है। जिस पर अपनी नाराजगी जताते हुए पिछले दिनों जिला राईस मिलर्स एशोसिएशन ने विधायक श्रीमती अनुभा मुंजारे से चर्चा कर,इस समस्या का समाधान निकालने एक ज्ञापन सौपा था। जिस पर विधायक श्रीमती मुंजारे ने राईस मिलर्स व्यापारियों को साथ लेकर मंगलवार को कलेक्टर गिरीश मिश्रा से मुलाकात की। जहां कलेक्टर सभाकक्ष में आयोजित बैठक में राईस मिलर्स एसोसिएशन ने जिले की धान बाहर जिलों के राईस मिलर्स को न देने की गुहार लगाते हुए जिले के राईस मिलर्स से मिलिंग का कार्य कराए जाने की मांग की जिन्होंने मिलिंग के लिए धान देकर उनका रोजगार बनाए रखने की बात कही, जिसका समर्थन करते हुए विधायक अनुभा मुंजारे ने भी नियमों में परिवर्तन कर जिले के राईस मिलर्स को धान उपलब्ध कराकर जिले में मिलिंग का कार्य करने, और जिले के मिलर्स और उनके मजदूरों को रोजगार दिए जाने की बात कही। जिसपर कलेक्टर डॉ गिरीश मिश्रा ने इस मुद्दे पर कोई बीच का रास्ता निकाल कर राहत पहुंचा देने का भरोसा दिलाया है।

तो कवेलू की तरह खत्म हो जाएगा राईस मिल उद्योग
कलेक्टर कार्यालय में आयोजित बैठक के दौरान विधायक श्रीमती अनुभा मुंजारे ने जिला राइस मिलर्स एसोसिएशन की इस प्रमुख मांग का समर्थन करते हुए कहा कि सालो पहले कवेलु और राईस मिलिंग उद्योग जिले की पहचान थे, लेकिन कालांतर में कवेलु उद्योग पर ऐसी मार पड़ी की, उसने दम तोड़ दिया। कवेलु उद्योग की जगहो पर आज कॉलोनी नजर आती है, थोड़ा बहुत राईस उद्योग है तो वह भी शासन की नीति और विपणन अधिकारी की नजरअंदाजी से दम तोड़ता दिखाई देता है। धान उत्पादक जिले में राईस मिलर्स को धान के लिए परेशान होना पड़ रहा है। जिससे ना केवल राईस उद्योग खतरे में है बल्कि इनके भरोसे राईस मिलर्स और मजदूरों का जीवन भी आर्थिक संकटो से जूझ रहा है। जिसकी जानकारी लगते ही जिले के राईस उद्योग को बचाने, राईस मिलर्स के साथ कलेक्टर से मुलाकात कर उनसे चर्चा की है।

मंडला जिले के व्यापारियों में विभाग दिखा रहा दिलचस्पी
आयोजित बैठक के दौरान जिला राईस मिलर्स एसोसिएशन पदाधिकारियो ने बताया कि जिले के राईस मिलर्स, परेशान है कि विपणन अधिकारी, राईस मिलिंग के निर्धारित अवधि के पूरे होने से ही, जिले की धान को पड़ोसी जिला मंडला के व्यापारियों को देने में खासी दिलचस्पी दिखा रहे है। जबकि जितनी धान मिलिंग के लिए शेष है, उतनी धान, जिले के सवा सौ मिलर्स के लिए कम है, ऐसे में यदि पड़ोसी मंडला जिले के राईस मिलर्स को मिलिंग के लिए धान दी जाती है तो ना केवल जिले के राईस मिलर्स बल्कि उनकी मिल में काम करने वाले मजदूरो पर भी आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वर्तमान समय में सभी राईस मिलर्स धान मिलिंग के लिए तैयार है जिले में अब केवल इतनी धन बची है कि सिर्फ दो तीन माह ही मिलिंग का कार्य हो पाएगा। वहीं शासन द्वारा चावल जमा करने की अवधि भी 9वे महीने तक है। बावजूद इसके भी यहां के अधिकारी जिले की धान को मिलिंग के लिए पड़ोसी जिलों में पहुंचने में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जिससे राईस मिलर्स का व्यापार प्रभावित हो रहा है और राइस मिलर्स और उनसे जुड़े मजदूरों पर बेरोजगारी के बादल मंडरा रहे हैं।

ऐसे तो जिले की पहचान ही खत्म हो जाएगी- अनुभा
कलेक्ट्रेट सभा कक्ष में आयोजित बैठक को लेकर की गई चर्चा के दौरान विधायक श्रीमती अनुभा मुंजारे ने बताया कि धान उत्पादक जिले में जिले के राईस मिलर्स को ही पर्याप्त मात्रा में मिलिंग के लिए धान नही मिल रही है। जिले के राईस मिलर्स को धान ना देकर, मंडला जिले के व्यापारियों को मिलिंग के लिए धान दी जा रही है। ऐसी स्थिति में जिले की राईस मिलें मृतप्राय हो जाएगी और जिले की एक और पहचान खत्म हो जाएगी। उन्होंने बताया कि जिले के राईस मिलर्स को धान ना मिलने की समस्या पर कलेक्टर डॉ. मिश्रा से चर्चा की गई। जिसमें उन्होंने आश्वस्त किया है कि जिले के राईस मिलर्स का नुकसान ना हो, इसके लिए वह बीच का रास्ता निकालेंगे। जिससे ना तो शासन को आर्थिक क्षति हो और मिलर्स को भी राहत मिल सके। उन्होंने बताया कि यदि कलेक्टर कोई ठोस निर्णय नहीं लेते है तो व्यापारियो के साथ समस्या बना रहेगी और मैं नही चाहती कि जिले के किसी व्यापारी के साथ अन्याय हो।

एक बोरी भी धान बाहर के व्यापारियों को न दी जाए- मोनू
वहीं बैठक को लेकर की गई चर्चा के दौरान राईस मिलर्स शोसिएशन जिलाध्यक्ष जितेन्द्र मोनु भगत ने बताया कि जिले में इस बार लगभग 58 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई है। जिसमें 38 लाख क्विंटल धान को राईस मिलिंग के लिए जिले के राईस मिलर्स ने उठाकर मिलिंग कर जमा कराने प्रारंभ कर दिया है। शेष बची धान को भी वह शासन की निर्धारित 30 सितंबर तक की तिथि में कर लेगा, बावजूद इसके मंडला जिले के व्यापारियों को धान दी जा रही है, जिससे धान नहीं बचेगी तो जिले के राईस मिलर्स और इनसे जुड़े मजदूरों को काम नहीं मिलेगा। जिस समस्या को लेकर हमने विधायक अनुभा मुंजारे जी से चर्चा की थी। जिनके साथ आज कलेक्टर महोदय से इस मामले में चर्चा हुई है। हमें उम्मीद है कि विधायक महोदया के हस्तक्षेप के बाद कलेक्टर महोदय, जिले के राईस मिलर्स की समस्याओं को गंभीरता से लेकर उचित निर्णय लेंगे। हमारी मांग है कि जिले से एक बोरी धान भी बाहर जिले के व्यापारियों को मिलिंग के लिए ना दी जाए।ताकी जिले के मिलर्स का रोजगार बचा रहे, उनके परिवार बचा रहे, उनके कर्ज का निराकरण हो, राइस मिल में काम करने वाले मजदूरों का भी परिवार है। सभी लोग को रोजगार मिल सके।उन्होंने बताया कि यदि जिले का राईस मिलर्स ,जिले की धान मिलिंग कर, जिले में ही चावल जमा करता है। तो उन्हें धान समाप्त होने के बाद भी रोजगार मिलेगा। आज बैठक में कलेक्टर श्री मिश्रा ने बीच का रास्ता निकाल कर राहत पहुंचा जाने की बात कही है। हमें उम्मीद है कि जिले के राइस मिलर्स को मिलिंग के लिए जिले में रखी शेष धान देकर रहात पहुँचाई जाएगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here