वारासिवनी खैरलांजी विधानसभा क्षेत्र क्रमांक ११२ से निर्दलीय प्रत्याशी मनोज लिल्हारे विधानसभा चुनाव २०२३ के लिए मैदान में बने हुए हैं जो लगातार जनता जनार्दन से संपर्क पर अपना चुनाव चिन्ह आटो के लिये चुनावी प्रचार कर रहे हैं। इसी कड़ी में वारासिवनी विधानसभा अंतर्गत ग्राम पंचायत कायदी ,खैरी ,प्रेमनगर सहित अन्य ग्रामों में निर्दलीय प्रत्याशी मनोज लिल्हारे के द्वारा बैठक जनसंपर्क एवं कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर आगे के रूपरेखा तैयार की गई वहीं कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार किया गया। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं से संपर्क कर उन्हें अपने चुनाव चिन्ह ऑटो निशान को घर घर तक पहुंचाने के लिए प्रेरित कर कार्यो की समीक्षा ली इसके बाद ग्रामीण जनों से जनसंपर्क कर अपने ऑटो निशान पर समर्थन मांगा गया।
निर्दलीय प्रत्याशी मनोज लिल्हारे ने कायदी में कार्यकर्ताओं की ली बैठक
चुनाव में राजनीतिक सरगर्मी अब तेज होने लगी है इसी के साथ बैठक जनसंपर्क का दौर बढ़ गया है। ऐसे में निर्दलीय प्रत्याशी मनोज लिल्हारे के द्वारा अपने कार्यकर्ताओं व विभिन्न ग्राम के ग्रामीणों की बैठक ग्राम के कार्यकर्ताओं के आवास पर आयोजित करवाई गई। जहां पर श्री लिल्हारे ने अपने विषय को सभी के सामने रखते हुए उन्हें वारासिवनी खैरलांजी विधानसभा क्षेत्र क्रमांक ११२ की वर्तमान स्थिति एवं दुर्दशा के विषय पर ध्यान आकर्षण करते हुए विस्तार पूर्वक बताया गया कि आज भी हम किस प्रकार से राजनीतिक परिदृश्य अपने क्षेत्र में देख रहे हैं। उसका खामयाजा किस प्रकार से हमारे युवा पीढ़ी को भुगतना पड़ रहा है जिन्होंने अपने चुनाव लडऩे को ग्रामीण क्षेत्र की आवाज बताते हुए चुनाव चिन्ह ऑटो रिक्शा पर समर्थन मांगा।
मनोज लिल्हारे के लिये महिलाओं की टोली ने घर घर किया जनसंपर्क
निर्दलीय प्रत्याशी मनोज लिल्हारे के पक्ष में महिला टीम के द्वारा क्षेत्र के विभिन्न ग्रामों का भ्रमण कर घर घर संपर्क किया गया। इस दौरान महिलाओं के द्वारा हाथ में मनोज लिल्हारे और उनके चुनाव चिन्ह ऑटो के कार्ड एवं पर्चा के माध्यम से घर घर में जाकर लोगों से ऑटो चुनाव चिन्ह पर अपना बहुमूल्य मतदान देने का आग्रह करते हुए समर्थन मांगा गया। इस संबंध में महिला टीम के द्वारा बताया कि मनोज लिल्हारे का हमने सरपंच कार्यकाल देखा है वह धार्मिक व्यक्ति है जो रोड इंफ ्रास्ट्रक्चर नहीं हम व्यक्ति के विकास की बात करते हैं । उनका संकल्प है मौजूद व्यवस्थाओं को मजबूत बनाना साथ ही नए संस्थान उद्योग फैक्ट्री लगवाना है। जिससे कि बेरोजगारी की बड़ी समस्या का समाधान हो सके जिनकी सोच में हमें स्वर्णिम वारासिवनी का भविष्य नजर आ रहा है । जिसको लेकर हम घर घर जाकर ऑटो रिक्शा चुनाव चिन्ह पर समर्थन मांग रहे हैं।
जिले में एक साथ तीन मंत्री रहे परंतु जिले का कुछ नहीं हो पाया
निर्दलीय प्रत्याशी मनोज लिल्हारे ने बैठक में कहा की हमें किसी कृषि कर्मठ अवार्ड की जरूरत नहीं है जिला ही नहीं प्रदेश और देश हमारा कृषि प्रधान है। हम कृषि करेंगे और पेट भरने के लिए अनाज हमें पैदा करना ही है। लेकिन हमारे नेताओं को अवार्ड लाने की जगह बालाघाट में यदि किसी का पैर की हड्डी टूट जाती है तो उसकी व्यवस्था करनी चाहिए तब हम आपके साथ है लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगे। जबकि बालाघाट में आप देखे बड़े.बड़े नेता रहे एक साथ तीन मंत्री रहे परंतु बालाघाट का कुछ नहीं हो पाया अभी हमारे पड़ोसी जिला गोंदिया में छुई की खदान भी नहीं है वहां कितना विकास है यह सब नेता के नेतृत्व पर निर्भर होता है। जब आम इंसान का विकास फैक्ट्री उद्योग धंधे लगेंगे तब होगा क्योंकि हमारे यहां सबसे बड़ा पलायन कि समस्या है । वह यदि रखेगा तो प्रत्येक व्यक्ति अपनी नौकरी के साथ किसानी भी करेगा यह बहुत बड़े स्तर का मामला है। किंतु इसके लिए विधायक बनना जरूरी है ताकि विधानसभा से यह अधिकारों की लड़ाई लड़ी जा सके।
जमीन पर कार्य करने वाला व्यक्ति ही ग्रामीणजन की परेशानी समझता है
श्री लिल्हारे ने कहां की ग्रामीणों की सोच होती है कि अच्छा नेता मैदान में आए पर तुम कब उसे चुनोंगे जब राजनीतिक पार्टी तुम्हारे मन के व्यक्ति को टिकट देगी। परंतु यहां तो गधे के गले में घंटी बांधकर हिलाने के लिए बोलते हैं तो यह संभव नहीं है कि गधे के गले में घंटी हिलाने बोले और हमें हिलाना पडे पार्टी सिंबाल पार्टी हमारे पास है पार्टी के पीछे दौडऩा है यह गलत है हमें इसके लिए विचार कर साथ में चलना होगा। जमीन पर कार्य करने वाला व्यक्ति ग्रामीण स्तर व व्यक्ति की परेशानी समझता है । उसे पता रहता है कि कौन कैसी स्थिति में यहां तक चल कर आया है कैसा वह जीवन अपना जी रहा है। बालाघाट सोने की चिडय़िा यहां पर माइंस का बड़ा काम है जो एक बहुत बड़ी लड़ाई है जिसे लडऩे विधानसभा में जाना होगा । बालाघाट माइन्स की नगरी है परंतु सबसे ज्यादा पलायन यहां पर है। लांजी से ३२ बस हैदराबाद आना जाना करती है अब वह घूमने तो जाती नहीं होगी उसमें लोग ही जाते हैं बांस हमारे यहां उच्च कोटि का है पर उसकी भी फैक्ट्री नहीं है क्योंकि हमारे नेता यहां ध्यान नहीं दे रहा है वह कृषि अवार्ड लाते हैं मेहनत हमे करना पड़ता । अवार्ड बुलाते हैं उनसे कुछ होता है नहीं घर में बैठे जबकि जनता ने उन्हें अपना नेता अपने बेहतर भविष्य के लिए बनाया था परंतु वह नेता खुद जनता के भरोसे है।