इन दिनों जिले में साइबरठगी का ग्राफ बढ़ते ही जा रहा है जहां पहले साइबरठग द्वारा भोली भाली जनता को बहला-फुसलाकर उनके यूपीआई पिन से साइबर ठगी की जाती थी तो अब साइबरठग द्वारा जिले के शासकीय अधिकारियों एवं राजनेताओं को धीरे धीरे अपना निशाना बना रहे है ताजा मामला जिले के टीकाकरण अधिकारी के साथ हुई साइबर ठगी का है जहां साइबरठग द्वारा उनसे बातों में उलझा ते हुए मोबाइल पर ऐप डाउनलोड करवा कर 25000 हजार रूपये की साइबर ठगी की घटना को अंजाम दिया है
साइबर ठगों के हौसले अब इतने बढ़ गए हैं कि वहां प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ नेताओं सहित बड़े अधिकारियों को भी अपना निशाना बनाने से नहीं चूक रहे हैं आपको बता दें कि जिला टीकाकरण अधिकारी डा. परेश उपलप के खाते से ठगों ने 25 हजार रुपये पार कर दिए। उन्होंने गत देर शाम कोतवाली स्थित साइबर नोडल शाखा में मामले की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। किसी स्वास्थ्य अधिकारी के साथ ठगी का यह संभवत: पहला मामला है। इससे पहले महीने भर में ही भरवेली थाना प्रभारी रविंद्र कुमार बारिया तथा प्रदेश के आयुष राज्य मंत्री रामकिशोर कावरे भी साइबर ठगी व हैकिंग का शिकार हो चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बालाघाट जैसे छोटे जिले में समय के साथ साइबर अपराध के दायरे में इजाफा हो रहा है। इसके पीछे बड़ी वजह जागरुकता की कमी और कम समय में कमाने का लालच है। पीड़ित डा. उपलप ने बताया कि 17 अगस्त को सुबह 11 बजे मैंने कैंसल की गई रेलवे टिकट का रिफंड लेने के लिए गूगल पर आइआरसीटीसी रिफंड हेल्पलाइन की लिंक सर्च की। वहां दर्ज लैंडलाइन नंबर पर मैंने काल किया, लेकिन आवाज साफ नहीं आई। इसके बाद मुझे अनजान नंबर से काल आया और बताया गया कि तकनीकी गड़बड़ी के कारण मुझे पैसे रिफंड नहीं हुए हैं। रिफंड के लिए मुझसे ‘रस्टडेस्क’ एप डाउनलाेड कराया गया। एप इन्स्टाल करने के बाद मैं कालर के बताए दिशा-निर्देश मानता गया। मैंने एप में पीएनआर नंबर डालकर शिकायत दर्ज कराई। कालर ने मुझे स्क्रीन शेयर आप्शन को क्लिक करने कहा। जैसे ही मैंने इस पर क्लिक किया, मेरे एसबीआइ के खाते से 25 हजार रुपये कट गए। पैसे कटने का मैसेज आते ही तत्काल एप को अनइंस्टाल कर दिया और शिकायत दर्ज कराई।
जिले में साइबर अपराध के जाल में पढ़े-लिखे लोगाें का फंसना जिले में अब भी जागरूकता की कमी को बताता है। इससे पहले ठगों ने भरवेली टीआई के पुत्र की नादानी का फायदा उठाकर टीआई के बैंक खाते से 35 हजार रुपये पार कर दिए थे। इसी तरह आयुष मंत्री का वाट्सएप अकाउंट हैक कर उनके नाम से कई लोगों को भ्रामक मैसेज भेजने का मामला भी काफी सुर्खियों में रहा था। वहीं, स्वास्थ्य अधिकारी के साथ ठगी के मामले में उनकी रकम मिलने की उम्मीद बेहद कम बताई जा रही है। पुलिस का मानना है कि ऐसे मामलों में ठग पीड़ित के खाते से पैसे निकालकर एक खाते में नहीं रखते बल्कि एक से दूसरे तथा दूसरे से तीसरे बैंक खातों में इन रुपयों को ट्रांसफर कर दिया जाता है। इसलिए रिकवरी करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
कोतवाली थाना प्रभारी द्वारा दूरभाष पर जब उक्त विषय को लेकर चर्चा की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि जिला टीकाकरण अधिकारी के साथ 25 हजार रुपये के फ्राड का मामला आया है। साइबर शाखा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बैंक खातों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। पुलिस का प्रयास रहेगा कि उनकी राशि मिले। लोगों से अपील है कि वह गूगल पर अनाधिकृत वेबसाइट में दर्ज नंबरों पर काल न करें