जिले से नहीं मिट पा रहा कुपोषण का कलंक

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बालाघाट(पदमेश न्यूज़)। शासन प्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद भी जिले से कुपोषण का कलंक नही मिट रहा है। महिला बाल विकास विभाग से सामने आए आंकड़े ने जो तस्वीर बयां की, वह चौकाने वाली है। यह रिपोर्ट सरकारी दावों की भी पोल खोल रही है।जानकारी के अनुसार जिले में अब भी सैकड़ों बच्चे कुपोषण का दंश झेल रहे हैं। जनवरी 2025 में प्राप्त महिला बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार 123396 पंजीकृत बच्चों में 122934 बच्चों का वचन व ऊचाई नाप किया गया। इनमें 0 से 5 वर्ष आयु वर्ग में 6863 बच्चे कम वजनी पाए गए हैं। वहीं 1053 को अति कम वजन यानि की गंभीर कुपोषित बताया गया है। यह हाल तब है जब जिले के लगभग 1500 गांवों में 2500 से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है और हर माह इन पर भारी-भरकम बजट खपाया जा रहा है।

अति कुपोषितों का भी बढ़ा आंकड़ा
शासन कुपोषण दूर करने तमाम तरह की योजनाएं चला रही है। लेकिन कुपोषण के आंकड़े में कमी नहीं आ रही है। इसका खुलासा विभाग से जारी आंकड़ों से होता है। जानकारी के अनुसार 6863 कम वजनी बच्चों में करीब 1053 बच्चे ऐसे हैं, जो गंभीर रुप से कुपोषण (अति कम वजन) का शिकार हैं। तमाम योजनाए और लाखों के बजट के बावजूद जिले की ऐसी स्थित योजनाओं के क्रियान्वयन व कार्य प्रणाली को उजागर कर रहे हैं।

जिला अस्पताल में 07 बच्चो का चल रहा उपचार
उधर जिला अस्पताल में बनाए गए पोषण पुर्नवास केन्द्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां अब भी 07 बच्चे उपचार करवा रहे हैं। बताया गया कि कुपोषित बच्चे ट्रेक होने पर उन्हें यहां भर्ती कराया जाता है। बच्चों की स्थिति के अनुसार उन्हें 12, 14 और 21 दिन तक यहां रखा जाता है। इस दौरान माताएं भी बच्चों के साथ रहकर उपचार करवातीं है। सभी तरह की दवाईयां, भोजन के साथ माताओं को 120 रुपए प्रतिदिन के लिहाज से राशि भी दी जाती है।अस्पताल के विशेषज्ञों के अनुसार बीते कुछ वर्ष में कुपोषण के प्रति लोग बहुत अधिक जागरुक होते जा रहे हैं। हॉलाकि कुपोषित बच्चे भर्ती होने की संख्या में अधिक अंतर नहीं आया है। लेकिन पिछले वर्षो की अपेक्षा स्थिति में सुधार नजर आ रहा है।

हमारे द्वारा कुपोषण खत्म करने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है -मांगोदिया
इस पूरे मामले को लेकर की गई औपचारिक चर्चा के दौरान महिला बाल विकास अधिकारी दीपमाला मांगोदिया ने बताया कि कुपोषण को कम और खत्म करने हमारी तरफ से सभी प्रयास किए जा रहे हैं। दूरस्थ स्थलों की आंगन बाडिय़ों तक योजना का लाभ और पोषण आहार उपलब्ध हो पा रहा है या नहीं इस बात की भी नियमित जानकारी ली जा रही है। जो आंकड़े सामने हैं, वे कम वजन व अति कम वजन के बच्चे है। जिन्हें आंगन बाडिय़ों व पुर्नवास केन्द्र से ट्रिटमेंट दिया जाता है। थोड़ा भी कम वजन होने पर बच्चे कुपोषित और अति कुपोषित की श्रेणी में आ जाते हैं। वहीं कुछ दिनों बाद वजन बढ़ाने पर वे पुनः इस श्रेणी से बाहर आ जाते हैं। इसके आंकड़े हर माह बड़ते घटते रहते हैं

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