वॉशिंगटन/ इस्लामाबाद/बीजिंग: डोनाल्ड ट्रंप के राज में भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। पाकिस्तान के साथ सीमित युद्ध के दौरान ट्रंप ने जबरन मध्यस्थता करनी चाही। नोबेल पुरस्कार पाने की चाहत में अब तक दर्जनों बार ट्रंप दावा कर चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध का खतरा था और उन्होंने इसे रुकवाया। भारत ने हर बार ट्रंप के इस दावे को खारिज किया है। यही नहीं जंग खत्म होने के बाद ट्रंप पाकिस्तान के आर्मी चीफ को वाइट हाउस बुलाया और लंच पर 2 घंटे तक बातचीत की। अमेरिका की इस मंशा पर अब और भी सवाल हथियारों की डील को लेकर उठ रहे हैं। अमेरिकी कंपनियों की देरी की वजह से भारतीय सेनाओं के दो सबसे अहम प्रोजेक्ट बुरी तरह से फंस गए हैं। ये हैं तेजस फाइटर जेट और अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टर। वह भी तब जब भारत के सबसे बड़े दुश्मन चीन और पाकिस्तान धड़ाधड़ नए हथियार अपनी सेना में शामिल कर रहे हैं। आइए समझते हैं पूरा मामला…
भारत की थल सेना ने अमेरिका से उड़ता टैंक कहे जाने वाले अपाचे AH-64E हेलिकॉप्टर के लिए डील किया था। वहीं भारतीय वायुसेना को तेजस फाइटर जेट मिलने थे जिसमें अमेरिका का इंजन लगना था। भारतीय सेना कई महीने की देरी के बाद भी अभी तक अपाचे हेलिकॉप्टर का इंतजार कर रही है। वहीं तेजस के लिए कई महीने की देरी के बाद पहला इंजन मिला है। इससे भारतीय सेनाओं की तैयारी कई महीने पिछड़ गई है। भारत को इस झटका देने के पीछे अमेरिका की दो दिग्गज रक्षा कंपनियां बोइंग और जीई एयरोस्पेस जिम्मेदार हैं। द संडे गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक आलम यह है कि कई अपाचे जो पहले से भारतीय सेना में शामिल हैं, वे भी जमीन पर आ गए हैं।