दुबई में रियल एस्टेट के मालिकों से जुड़ी एक अंतरराष्ट्रीय जांच ‘दुबई अनलॉक्ड’ ने बड़ा खुलासा किया है। इसमें कहा गया कि दुनिया भर से आने वाला काला धन दुबई के रियल एस्टेट में डाला जा रहा है। हालांकि इस रिपोर्ट का यह बिल्कुल भी नहीं कहना है कि दुबई में प्रॉपर्टी खरीदने वाले हर शख्स का पैसा ‘डर्टी मनी’ है। लेकिन ‘डर्टी मनी’ की यह पहली पसंद बन गया है। रिपोर्ट में भारत के कुछ बड़े नामों का भी जिक्र है। वहीं अगर पड़ोसी पाकिस्तान की बात करें तो यहां के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के परिवार और दिवंगत राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की भी संपत्तिया हैं। रिपोर्ट 2020-22 के आंकड़ों पर आधारित है। आइए रिपोर्ट के मुताबिक समझें कि दुबई अवैध धन को ठिकाने लगाने वालों की पहली पसंद क्यों है?
चालीस साल पहले दुबई एक साधारण जगह थी, जो मध्य पूर्व के मुहाने पर है। अरब का रिगिस्तान बिना किसी बाधा के फारस की खाड़ी में पहुंच सकता था। लेकिन आज का दुबई बहुत बदल गया है। आज के समय यह दुनिया का एक बड़ा फाइनेंशियल हब है। अपनी ऊंची-ऊंची बिल्डिगों के लिए इसे जाना जाता है। व्यापार करने वाले लोग यहां व्यापार करते हैं। दुनिया के रईस यहां अपनी छुट्टियां मनाते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दुबई में लोग सिर्फ बिल्डिंग और विला के लिए ही नहीं जाते। रिपोर्ट्स के मुताबिक दुबई भगोड़ों के लिए एक आकर्षक जगह है, क्योंकि प्रत्यर्पण करवा पाना बहुत मुश्किल है।
न्यूयॉर्क और लंदन से अच्छा विकल्प
दक्षिण अफ्रीका के गुप्ता बंधु एक ताजा उदाहरण है। उनके ऊपर दक्षिण अफ्रीका का सार्वजनिक धन लूटने का आरोप है। दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के बावजूद पिछले साल यूएई ने दक्षिण अफ्रीका की ओर से गुप्ता भाइयों के प्रत्यर्पण के अनुरोध को खारिज कर दिया। यह कदम दक्षिण अफ्रीका के लिए एक बड़ा झटका था। न्यूयॉर्क और लंदन के रियल एस्टेट में भी ‘डर्टी मनी’ है। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन लोगों को पश्चिमी देशों में प्रतिबंधों का डर होता है उनके लिए दुबई एक अच्छा विकल्प है।