दुष्कर्म के आरोप में आरोपी दलजीत सिंह को 20 वर्ष की सश्रम कारावास और 15000 अर्थदंड

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लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की विशेष न्यायाधीश श्रीमती नौशीन खान की अदालत ने एक नाबालिक लड़की के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में एक युवक दलजीतसिंह पिता रूपसिंह मर्सकोले 23 वर्ष ग्राम खुरसोड़ा थाना लामता निवासी को 20 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई। विद्वान अदालत ने इस आरोपी को 20 वर्ष की सश्रम कारावास के अलावा 15000 रूपये अर्थदंड से भी दंडित किये है। आरोपी दलजीतसिंह की यह नाबालिक लड़की मंगेतर थी।जिसकी शादी लड़की के 18 साल की होने के बाद ही होने वाली थी।

अभियोजन के अनुसार यह लड़की बाहर गांव की आने वाली है जो 1 वर्ष पूर्व से अपनी बड़ी मां के घर रहती थी। 1 वर्ष पहले लड़की की बड़ी मां के पुत्र की शादी हुई थी तभी दलजीत सिह ने इस लड़की को देखा था और वह इस लड़की से शादी करना चाहता था। दलजीत सिह ने लड़की के परिवार वालों से शादी करने के लिए बोला था। दलजीत सिह समाज का ही होने के कारण लड़की के परिवार के लोग तैयार हो गए थे। किंतु लड़की नाबालिक होने के कारण 18 वर्ष की होने के बाद ही शादी होना तय हुआ था। पिछले वर्ष माह फरवरी2022 को दलजीत सिह ने इस लड़की को गांव की पहाड़ी तरफ मिलने के लिए बुलाया था लड़की दलजीत से मिलने गई थी। तभी दलजीत सिह ने इस नाबालिक लड़की को बहला फुसलाकर पहाड़ी के तरफ ले जाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाएं। इसके बाद दूसरे दिन भी दलजीत सिह ने इस लड़की को बुलाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। दलजीत सिह द्वारा शारीरिक संबंध बनाने से यह लड़की गर्भवती हो गई थी। इस संबंध में इस लड़की ने दलजीत सिंह को बताई थी और दलजीत ने उसे कुछ खा लेने के लिए बोला था किंतु लड़की ने कुछ खाई नहीं। परिवार वालों को जब लड़की का पेट उभरा हुआ दिखा तब उन्होंने लड़की से पूछताछ किये तब उसने घटना के संबंध में बताई थी। लड़की को उसकी मां ने डॉक्टर के पास चेक करने के लिए ले गई
किंतु डॉक्टर ने उन्हें पुलिस थाने जाने के लिए कहे तब यह लड़की अपने परिवार वालों के साथ महिला थाना बालाघाट पहुंची। इस लड़की द्वारा की गई रिपोर्ट पर दलजीत सिह के विरुद्ध धारा 376(2)(N),376(3)भादवि, धारा 3/4(2),5(L)(J)(11)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया गया और इस अपराध में दलजीत सिह को गिरफ्तार किया गया था। विवेचना उपरांत अभियोग पत्र विद्वान अदालत में पेश किया गया। यह मामला लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश श्रीमती नौशीन खान की अदालत में चला ।विद्वान अदालत में चलते इस मामले में अभियोजन पक्ष आरोपी दलजीत सिंह के विरुद्ध आरोपित अपराध सिद्ध करने में सफल रहा। जिसके परिणाम स्वरुप विद्वान अदालत ने मामले की समस्त परिस्थितियों को देखते हुए अपने विवेचन निष्कर्ष और उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर आरोपी दलजीत सिंह को धारा 3/4(2) लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध में 20 वर्ष की सश्रम कारावास और 5000 रुपए अर्थदंड,धारा 5(L)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत 20 वर्ष की सश्रम कारावास और 5000 रुपए अर्थदंड, धारा 5(J)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत 20 वर्ष की सश्रम कारावास और 5000 रुपए अर्थदंड से दंडित किये। इस मामले की पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी कपिल कुमार डहेरिया के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक श्रीमती आरती कपले द्वारा की गई थी।

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