नवरात्र पर्व में मां के नौ रूपों की आराधना जारी

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वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)। नगर सहित क्षेत्र में शारदेय नवरात्र पर्व प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दौरान माता मंदिरों सहित घरों में मां भगवती के नाम के घाट स्थापित कर जवारे बोकर मनोकामना ज्योति कलश प्रचलित कर आराधना की जा रही है। जहां पर प्रतिदिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं जिसमें प्रमुख रूप से भजन कीर्तन का आयोजन जस समितियों के माध्यम से किया जा रहा है। जहां पर सुबह से शाम तक मां भगवती के नाम की धूम मची हुई है इस दौरान देखने में आ रहा है कि मंदिरों में लोगों की भीड़ भी नजर आ रही है जो मां भगवती के आशीर्वाद ग्रहण करने के लिए मंदिरों में पहुंच रही है। इस दौरान शारदेय नवरात्र पर्व की प्रथम तिथि यानी 3 अक्टूबर को मां भगवती की आराधना कर धरो सहित मंदिरों में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित कर नवरात्र पर्व का प्रारंभ किया गया था। जिसका समापन 10 11 एवं 12 अक्टूबर को हवन पूजन नवकन्या भोज भंडारे का आयोजन कर नहर नदी तालाब में जवारे विसर्जन कर पर्व का समापन किया जायेगा। इस नवदिवसीय नवरात्र पर्व में माता रानी के भक्तों के द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर हर्षोल्लाह के साथ नौ दिन मां भगवती के नौ स्वरूप की आराधना की जा रही है।

शीतला माता मंदिर में 361 मनोकामना ज्योति कलश हुए प्रज्वलित

वारासिवनी की ग्राम देवी के नाम से मशहूर शीतला माता मंदिर में शारदेय नवरात्र पर्व 3 अक्टूबर से धार्मिक भक्ति भाव के साथ मनाया जा रहा है। इस दौरान 3 अक्टूबर की रात्रि 8 बजे विधि विधान से वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ शारदेय नवरात्र पर्व का प्रारंभ माता शीतला की पूजा अर्चना से किया गया। जिसके बाद 361 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए तत्पश्चात माता शीतला की महाआरती की गई। जहां पर रोजाना सुबह और शाम 8:30 बजे माता शीतला की विधि विधान से पूजा अर्चना कर आरती की जा रही है। वही रोजाना जस भजन कीर्तन जैसे कार्यक्रम कर शारदेय नवरात्र पर्व पूर्ण भक्ति भाव के साथ मनाया जा रहा है। नवरात्रि की नवमी को कन्या भोज हवन पूजन भंडारा कर दशहरे के दिन ढोल नगाड़ों की थाप पर जवारे का विसर्जन किया जाएगा। शारदेय नवरात्र पर्व प्रारंभ होने के साथ ही माता शीतला को जल चढ़ाने के लिए भक्तों की भीड़ अब मंदिरों में उमड़ने लगी है। सुबह 5 बजे से यह प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है जो दोपहर तक चलती है। इस दौरान सुबह 7 बजे से 11 बजे तक भक्तों की बहुत भीड़ रहती है। मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था और नगर वासियों की गहरी श्रद्धा होने का ही कारण है कि दूर-दूर से लोग यहां पर मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित करवाते हैं। यह वही लोग है जो वारासिवनी अपनी जन्मभूमि को तो छोड़ चुके हैं परंतु माता शीतला को आज भी नहीं भूले हैं शारदेय हो या चैत्र नवरात्र वह माता रानी के दरबार में एक बार हाजिरी लगाकर ज्योति कलश जरूर स्थापित करवाते हैं। ऐसे में वारासिवनी बालाघाट के साथ ही रायपुर बिलासपुर जयपुर बेंगलुरु और अमेरिका जा चुके लोग भी शीतला माता मंदिर में अपनी मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित करवाते हैं। यह मंदिर करीब 500 वर्षों से भी ज्यादा पुराना होने की बात कही जाती है साथ ही बताया जाता है कि जब यह वारासिवनी नगर कस्बे के रूप में स्थापित था उसके पहले से माता शीतला का मंदिर अपने स्थान पर स्थापित है। यह उस समय से ग्राम देवी है वर्तमान में जो मंदिर का स्वरूप नजर आता है वह बाद में बनाया गया है पहले माता माई के रूप में छोटे स्तर पर मंदिर बना हुआ था। बाद में नगर विस्तार के साथ-साथ मंदिर का भी विस्तार होता गया जिससे वह वर्तमान स्वरूप में है।

गायत्री शक्तिपीठ में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा शारदेय नवरात्र पर्व

नगर के लालबर्रा रोड स्थित गायत्री शक्तिपीठ मंदिर में 3 अक्टूबर से शारदेय नवरात्र पर्व हर्षोल्लास के साथ धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप मनाया जा रहा है। जहां पर 3 अक्टूबर को शारदेय नवरात्र के प्रारंभ के प्रथम दिन विधि विधान से पूजा अर्चना कर 116 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किये गये। जिसके बाद से माता गायत्री की आराधना की जा रही है जहां रोजाना सुबह शाम 8:30 बजे माता गायत्री की विधि विधान से वेद मंत्र उच्चारण के साथ पूजा अर्चना कर आरती की जा रही है। इस दौरान गायत्री मंत्र के साथ माला जाप करने बड़ी संख्या में लोग उपस्थित होकर माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। श्री गायत्री शक्तिपीठ में प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं। जहां पर नगर ही नहीं बालाघाट जिले के भी लोगों के द्वारा ज्योति कलश की स्थापना करवाई गई है जहां जिले से बाहर के भी लोग मां भगवती के दर्शन के लिए आते है। इस दौरान मंदिर में 116 ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं जिसमें 85 कलश तेल के एवं 31 कलश घी के हैं जिन का विसर्जन 11 अक्टूबर को किया जाएगा। नवरात्र पर्व लोगों की भीड़ मंदिर में स्वाभाविक लगी होती है। जहां पर शारदेय नवरात्र पर्व के दौरान जिले सहित बाहर से श्रद्धालु मां भगवती के दर्शन करने और आशीर्वाद ग्रहण करने के लिए सुबह व शाम को बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। यहां बने साधना भवन में ध्यान एवं साधना को जाप के रुप में करने के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी रहती है। इसी के तहत इस वर्ष भी करीब एक सैकड़े से ज्यादा लोग रोजाना मंदिर के साधना भवन में सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक जाप करने के लिए उपस्थित होकर अपनी यथाशक्ति जाप कर माता रानी की आराधना कर रहे हैं। पर्व का समापन 11 अक्टूबर को किया जाएगा। इस अवसर पर सुबह से पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ किया जाएगा जिसके बाद सभी प्रकार के संस्कार निशुल्क करने के उपरांत नौ कन्या भोज और जवारो का विसर्जन कर समापन किया जाएगा।

काली माता मंदिर में 442 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित कर आराधना जारी

वारासिवनी बालाघाट मार्ग पर स्थित ग्राम पंचायत वारा अंतर्गत मां काली माता मंदिर मैं प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी हर्षोल्लास एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप शारदेय नवरात्र पर्व मनाया जा रहा है। जिसमें 3 अक्टूबर को शारदेय नवरात्र पर्व की प्रथम तिथि पर विधि विधान से वेद मंत्र के उच्चारण के साथ पूजा अर्चना करने के पश्चात 442 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित कर आरती की गई। जिसके बाद से प्रतिदिन सुबह शाम 8:30 बजे दुर्गा पाठ एवं आरती कर मां भगवती के नौ रूपों की आराधना की जा रही है। जिसका समापन 10 अक्टूबर को विधि विधान से मां भगवती की पूजा अर्चना हवन पूजन एवं 11 अक्टूबर को जवारे विसर्जन कर किया जाएगा। वारासिवनी नगर व आसपास में मां काली माता मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है जहां बालाघाट जिला सहित अन्य जिलों के भी लोग मां भगवती के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। सुबह शाम मंदिर में माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लग रही है जो मां भगवती की पूजा अर्चना कर मनोकामना मांग रहे हैं। ऐसे कई लोग हैं जिनकी मांगी गई मनोकामना पूर्ण भी हुई है। मंदिर मैं वारासिवनी नगर सहित बालाघाट जिला व अन्य जिले जैसे छिंदवाड़ा गोंदिया बिलासपुर रायपुर भंडारा व अन्य जिलों के भी लोगों की काली माता मंदिर में खासी आस्था है। जो शारदेय एवं चैत्र नवरात्र पर्व पर मंदिर में ज्योति कलश की स्थापना करते हैं माता के दर्शन के लिए आते हैं। यह वही लोग हैं जिन्हें मंदिर से लाभ हुआ है या वारासिवनी के निवासी है जो अब बाहर रहने लगे हैं इनके द्वारा प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी ज्योति कलश की स्थापना की गई है। जिसमें कुल 442 ज्योति कलश स्थापित किए गए हैं जिसमें 44 घी एवं 398 तेल के है। मां भगवती के नौ रूपों की आराधना की जा रही है जिसमें रोजाना पाठ और आरती की जाती है। जहाँ 10 अक्टूबर को हवन पूजन कन्या भोज करवाकर 11 अक्टूबर को जवारे विसर्जन कर भंडारे का आयोजन के साथ पर्व का समापन किया जाएगा।

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