डॉक्टर, ब्रह्मदीप अलूने: भारत को शत्रु देश मानने वाले रिचर्ड निक्सन साल 1969 से 1974 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे। वे अमेरिका के एक मात्र राष्ट्राध्यक्ष थे जिन्होंने पाकिस्तान के परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिशों का समर्थन किया था। यह भी दिलचस्प है कि निक्सन भी उसी रिपब्लिकन पार्टी के नेता थे जिसका नेतृत्व अब डोनाल्ड ट्रंप कर रहे हैं। निक्सन ने भी पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह याह्या खान का उसी तरह समर्थन किया था,जिस तरह ट्रंप पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीरको दावत देते नजर आएं हैं। निक्सन ने पाकिस्तान को मदद देने और भारत पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका के सातवें बेड़े को बंगाल की खाड़ी में भेजा था। अब ट्रंप ने पाकिस्तान से प्यार का इजहार कर भारत पर एक बार फिर दबाव बनाने की कोशिश ही की है।
रिचर्ड निक्सन के कार्यकाल को लेकर साल 2005 में जब वाइट हाउस के गुप्त टेप सार्वजनिक किए गए तो उन्हें भारत और इंदिरा गांधी के लिए अपशब्द कहते सुना गया। बाद में निक्सन ने इसके लिए माफ़ी भी मांगी । साल 1971 की लड़ाई में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और उनके सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर पूरी तरह से पाकिस्तान के साथ खड़े दिखाई दिए थे। किसिंजर का कहना था कि अगर भारत ने पाकिस्तान पर आक्रमण किया तो चीन पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आएगा। अगर ऐसा होता है तो सोवियत संघ भारत की तरफ़ से मैदान में उतरेगा। अमेरिका को पाकिस्तान के पीछे खड़े रहना चाहिए जिससे न तो भारत पाकिस्तान पर हमले के बारे में सोच सके और न ही सोवियत संघ को इस मामले में हस्तक्षेप करने का मौका मिल पाए। अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने अपने सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर को जुलाई 1971 में चीन की गुप्त यात्रा पर भेजकर भारत के खिलाफ चीन,पाक,अमेरिका गठबंधन बनाने की कोशिश की थी। जिसका बेहतरीन कूटनीतिक जवाब देते हुए भारत ने ठीक एक महीने बाद 9 अगस्त 1971 को सोवियत संघ से रक्षा समझौता कर दुनिया को लाजवाब कर दिया था।