निजी कोचिंग संस्था पर चल रही प्रशासन की कार्रवाई को लेकर एक कोचिंग संस्था के संचालक द्वारा प्रेस वार्ता लेकर बताया गया कि जिस प्रकार से प्रशासन कार्रवाई कर रहा है वह उनकी दृष्टि से ठीक नहीं है क्योंकि जिस प्रकार बड़े शहर में घटना घटी है जरूरी नहीं कि वह घटना यहां पर भी घटे या नियमों में कुछ शिथिलता लाकर प्रशासन को कार्रवाई करनी थी पर प्रशासन द्वारा सील बंद की कार्रवाई कर दी गई वह उनके हिसाब से ठीक नही है
आपको बता दे की दिल्ली में घटी घटना के बाद जिला प्रशासन ने शहर की कुछ कोचिंगों का निरीक्षण कर कमियां पाए जाने पर सील बंद करने के आदेश नगर पालिका को जारी किए थे एवं नगर पालिका द्वारा एसडीएम के आदेश के बाद कुछ कोचिंग को सील बंद किया गया था इसके बाद बीए भोपाल एकेडमी के संचालक संदीप सोनगड़े द्वारा 2 सितंबर को अपने संस्थान में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया और पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि दिल्ली में जो घटना घटी वह निश्चित ही दुखद घटना थी और वहां जरूर लापरवाही की गयी होगी और उसी घटना को लेकर बालाघाट में भी कोचिंग संस्थानों की जांच और निरीक्षण किए गए, किंतु यहां जो जांच और निरीक्षण किया गया वह सही नहीं की गयी क्योंकि वह भी चाहते हैं कि यदि कोई लापरवाही कर रहा है तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए , किंतु यहां पर जो प्रशासन ने निरीक्षण करने के बाद 10 दिन के अंदर कार्रवाई कर दिया उससे कहीं ना कहीं बच्चों को नुकसान हुआ, क्योंकि उस समय बच्चों के एग्जाम थे और सभी बच्चे कोचिंग में इसकी तैयारी कर रहे थे और अचानक कोचिंग को सील बंद करने से बच्चों का नुकसान हुआ , इसलिए वह इस प्रकार की कार्रवाई को सही नहीं बता रहे हैं और उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से प्रशासन मीडिया के माध्यम से कोचिंग संस्थान में कोचिंग संचालकों की लापरवाही बता रहा है वह सही नहीं है क्योंकि कोचिंग संस्था में कोचिंग संचालकों के द्वारा किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं की गई है, कोचिंग संस्था द्वारा अपने स्तर पर हर संभव छात्रों के हितों में सुविधा दे रहे हैं उन्होंने यह भी कहा कि कुछ थोड़ी कमियां हो सकती है क्योंकि कोई भी 100 में 100 प्रतिशत सही नहीं हो सकते , चाहे वह निजी संस्थान हो या फिर कोई शासकीय संस्था क्यों ना हो इन सब विषय को लेकर शासन प्रशासन को कहीं ना कहीं कार्यवाही में शिथिलता बरतनी की आवश्यकता थी पर प्रशासन द्वारा ऐसा नहीं किया गया इस कारण आज वह अपना पक्ष रखते हुए मीडिया के माध्यम से यह मांग कर रहे हैं कि प्रशासन द्वारा जब भी इस प्रकार की कार्रवाई की जाती है तो उसमं कहीं ना कहीं नियमों में थोड़ी शिथिलता लाकर बच्चों के भविष्य को देखते हुए कार्रवाई की जानी चाहिए