कोरोना संक्रमण को नियंत्रण करने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का खुद का कंट्रोल है। प्राइवेट लैबों के आंकड़ों को उछालकर कोरोना के रोज जारी होने वाले आंकड़ों को निर्धारित किया जा रहा है। अधिकारिक तौर पर जारी होने वाले आंकड़ों को तो मेंटेन रखा जाता है, लेकिन प्राइवेट लैब के आने वाले आंकड़ों से मनचाहे पाजिटिव केस उठाए जाते हैं, क्योंकि अगर पूरे उठा लिए तो पाजिटिव केसों का ढेर लग जाएगा। हकीकत में इस तरह आंकड़ों की यह बाजीगरी रोज चल रही है। निजी लैबों में कभी 91 पाजिटिव दिखा दिए जाते हैं तो कभी आंकड़ा 500 पार हो जाता है, यह हैरत भरा है।
कोरोना की दूसरी लहर के आंकड़े वाकई डरावने हैं। सैंपलिंग, कांटेक्ट ट्रेसिंग से लेकर कोरोना को रोकने के लिए तय की गई व्यवस्थाएं चुस्त नहीं हैं। कोरोना कर्फ्यू के पालन की बात हो या कोरोना गाइडलाइन का शत प्रतिशत पालन, कहीं भी सख्त व्यवस्था नहीं है। यही वजह है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अब आंकड़ों का खेल करने लगा है। वहीं आरटीपीसीआर के आंकड़ों का लोड ज्यादा होने के कारण कभी रोक लिए जाते हैं तो निजी लैबों के आकड़ों को अधिकारिक आंकड़े को साधने में उपयोग किया जा रहा है।
ऐसे प्राइवेट लैब का आंकड़ा अप-डाउन
28 अप्रैल 29 अप्रैल 30 अप्रैल 01 मई 02 मई 03 मई
जीआरएमसी आरटीपीसीआर 635 629 949 865 264 373
जीआरएमसी रैपिड 74 88 111 00 00 00
डीएच रैपिड 120 101 00 124 81 438
प्राइवेट लैब 91 162 45 83 565 286
प्राइवेट लैब: औसत 250 जांच, आधे निकलते हैं संक्रमितः प्राइवेट लैबों में होने वाली आरटीपीसीआर कोरोना जांच में तीन लैब हैं। इनमें पैथकाइंड, लाल पैथ लैब और श्रीकृष्णा हैं। पिछले दिनों से इन लैबों के आंकड़ों पर निगाह डाली जाए तो जमकर उठापटक विभाग ने की है। इन लैबों में रोज करीब प्रति लैब जांच होने वाले आंकड़े 250 के करीब रहते हैं, जिनमें 50 फीसद संक्रमित निकलते हैं। रोज संक्रमित निकलने वाले इन आंकड़ों को छिपाया जाता है और जब जितनी मर्जी होती है उतना आंकड़ा उठा लिया जाता है।
ऐसी महामारी में भी छिपा रहे आंकड़े, कैसे होगी रोकथामः कोरोना संक्रमण को लेकर देश-प्रदेश व शहर में क्या हालात हैं, यह किसी से छिपे नहीं हैं। ऐसी महामारी में भी कोरोना के आंकड़ों को छिपाने का खेल चल रहा है जो कि खतरनाक है। रैपिड एंटीजन टेस्ट बढ़ा दिए गए हैं, जबकि आरटीपीसीआर की संक्रमण को पकड़ने की क्षमता ज्यादा है। सरकार के निर्देश पर ऐसा किया जा रहा है। कोरोना रोकथाम के लिए कोरोना कर्फ्यू से लेकर अलग-अलग तरह की व्यवस्थाएं और सख्ती की जा रही है और इधर आंकड़े रोकने का खेल किया जा रहा है। ऐसे कैसे कोरोना से निपट पाएंगे।
जो आंकड़े छिपा रहे, उन संक्रमितों से अलग खतराः कोरोना से संक्रमित के आधिकारिक आंकड़ों से जो लोग छिपाए जा रहे हैं, वे निगरानी में नहीं आते हैं। ऐसे में वे संक्रमित यह तो जान जाते हैं कि वे संक्रमित हैं, लेकिन वे गाइडलाइन का पालन कर रहे या दूसरों के लिए खतरा बन रहे हैं यह कौन देखेगा। इंसीडेंट कमांडरों के पास सिर्फ कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा पहुंचता है जो छिपा लिए जाते हैं, वे नहीं पहुंचते। यह भी बेहद खतरे की बात है।










































