देश में अब लोकसभा चुनाव का माहौल बन गया है। इस दौर में राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप का क्रम भी शुरू हो ही जाता है। बाहरी और भीतरी का कार्ड तो ऐसे में खेला ही जाता है। जब भी उम्मीदवार कोई चुनावी भाषण करने जाते हैं तो इसी बात का मुद्दा बनाने की कोशिश करते हैं। यह बात अलग है कि वोटर्स को इससे फर्क नहीं पड़ता। देश में लोकसभा चुनाव की शुरुआत 1951 से हुई थी। जहां तक धनबाद की बात है, इस संसदीय क्षेत्र को उस समय मानभूम उत्तरी के नाम से जाना जाता था। तब देश में कांग्रेस की धाक थी। इस संसदीय क्षेत्र में तब से अभी तक ऐसे प्रत्याशी जीते हैं जो धनबाद से या राज्य के बाहर जन्मे थे। बांग्लादेश व नेपाल में जन्मे लोगों को भी धनबाद की जनता ने चुनकर सांसद बनाया। आजादी के बाद ये लोग यहीं बस गए।
बांग्लादेश के पीसी बोस थे पहले सांसद
प्रभातचंद्र बोस या पीसी बोस कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। वे बांग्लादेश के जेसोर जिले के थे। उस समय धनबाद लोकसभा क्षेत्र पश्चिम बंगाल की सीमा से लगा था। इसलिए इसे मानभूम कहते थे। पहले आम चुनाव में उन्हें 92 हजार 752 वोट मिले। उन्होंने विरोधी प्रत्याशी को 9543 वोटों से हराया।