न्यूजीलैंड की टीम ने अपने क्रिकेट इतिहास में काफी उतार-चढ़ाव देखे। लगातार दो बार आईसीसी विश्व कप फाइनल (2015 और 2019) में पहुंचकर भी खिताब ना जीत पाने का दुख किसी भी टीम के लिए सदमे जैसा होगा। खासतौर पर तब जब देश ने कभी कोई आईसीसी का खिताब अपने नाम नहीं किया। लेकिन आखिरकार बुधवार को उनका ये सपना पूरा हुआ और खास अंदाज में पूरा हुआ जब उन्होंने दिग्गज भारतीय टीम को हराकर पहला विश्व टेस्ट चैंपियनशिप खिताब जीता। जाहिर तौर पर टीम के अनुभवी खिलाड़ियों, जिन्होंने लंबा संघर्ष किया है, उनके लिए ये सबसे भावुक पल बन गया।
हम यहां बात कर रहे हैं कीवी टीम के दो सबसे अनुभवी व पुराने खिलाड़ियों की- रॉस टेलर और टिम साउथी। जब न्यूजीलैंड के लिए 108 टेस्ट मैच खेलने वाले 37 वर्षीय रॉस टेलर ने फाइनल का विजयी शॉट लगाया तो उनके लिए ये बड़ा पल था। उन्होंने नाबाद 47 रनों की पारी खेली और टीम को जिताकर ही लौटे। मैच खत्म होने के बाद वो भावुक नजर आए और उन्होंने कहा कि वो इस जीत को ताउम्र याद रखेंगे जो उनके करियर का मुख्य आकर्षण होगी।
रॉस टेलर ने कहा, ‘‘मैच में बहुत बारिश हुई लेकिन जिस तरह से हमारी टीम ने शुरू में संघर्ष करने के बाद वापसी की और जीत हासिल की उसे मैं कभी नहीं भूल सकता। इसमें कोई दो मत नहीं है कि दबाव काफी था लेकिन हमने उसके अनुसार ही बल्लेबाजी की।’’
वहीं, दूसरी तरफ न्यूजीलैंड के लिए 79 टेस्ट मैच खेलने वाले उनके स्टार पेसर टिम साउथी ने भी दूसरी पारी में भारत को 170 रन पर समेटने में सबसे बड़ा योगदान दिया। साउथी ने इस पारी में 48 रन लुटाते हुए 4 विकेट झटके। टिम साउथी ने भी अपनी टीम को कई बार अंतिम समय पर आकर बड़े फाइनल मैचों को हारते देखा है। ऐसे में मैच के बाद वो भी भावुक दिखे।
साउथी ने मुकाबले को जीतने के बाद कहा कि खिलाड़ी दो साल पहले शुरू हुई इस यात्रा का सुखद अंत चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस यात्रा की शुरुआत दो साल पहले की थी। यहां बतौर चैंपियन बैठना खास है। इसमें काफी मेहनत लगी है। हमारे पास जो है उसे हासिल करना संतोषजनक है। हमारे दो सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज क्रीज पर थे इसलिए हम शांत थे, हमें भरोसा था। हम इस दौरे के सुखद अंत के साथ (बीजे) वॉटलिंग के क्रिकेट करियर का अंत चाहते थे।” गौरतलब है कि न्यूजीलैंड ने विकेटकीपर बल्लेबाजी बीजे वॉटलिंग को विजयी विदाई दी जो अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का अंतिम मैच खेल रहे थे।