भारत को अक्सर ही हिमालय के क्षेत्र में चीन की तरफ से चुनौती और अस्थिरता का सामना करना पड़ता है। तीन साल पहले एशिया की दो महाशक्तियां पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने आ गई थीं। अब एक बार फिर से इसी तरह की स्थितियां बनती नजर आ रही हैं। अक्साई चिन के क्षेत्र में लंबे समय से भारत और चीन के बीच टकराव की स्थिति है। विशेषज्ञ अक्टूबर 2022 से लेकर अगले छह महीनों में आने वाली सैटेलाइट तस्वीरों का हवाला देते हैं जिनसे साफ नजर आता है कि कैसे चीन अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है। थिंक टैंक चैथम हाउस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बिखरी हुई वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीनी साइड की तरफ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की चौकियों की स्थिति से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर चीन की सेना हावी होने की कोशिशों में लगी हुई है।
लगातार आक्रामक होता चीन
यह वही जगह है जहां पर एक ऐसा सिस्टम बना लिया है जो पीएलए सैनिकों की तैनाती के समय मददगार साबित होगा। सड़क, चौकियों और पार्किंग क्षेत्रों, सौर पैनलों और यहां तक कि हेलीपैड से लैस इन सेक्टर्स में नजर आता है कि चीन किस तरह से विस्तार कर रहा है। जून 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान में पीएलए और भारतीय सेना के जवानों के साथ हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। लद्दाख पर भारत दावा करता है तो चीन, झिंजियांग और तिब्बत के हिस्से को अपना बताता है। दोनों पक्ष अभी भी सटीक सीमा रेखा पर असहमत हैं। ऐसे में चीन-भारत के बीच एक आकस्मिक संघर्ष के बढ़ने का खतरा भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।