बैंकिंग सुविधा का नाम जुबान पर आते ही हमें वह सुविधाएं याद आ जाती है जिसके हम आदी हो चुके हैं। हर चौक चौराहों पर एटीएम और यही नही आधुनिकता की दौड़ में मोबाइल में ही पूरा का पूरा बैंकिंग सिस्टम। लेकिन इन सबसे दूर आजादी के वर्षों बरस बीत जाने के बाद भी जिले के दक्षिण बैहर क्षेत्र में बैंकिंग सुविधा के हालात नहीं बदले हैं। बैंक का छोटा काम हो या बड़ा हर व्यक्ति को उकवा बैंक तक पहुंचने के लिए पहले मीलों का सफर तय करना पड़ता है।
दरअसल जिले की भौगोलिक स्थिति सुरक्षा व्यवस्था की सुविधा और उस पर शासन की बेरुखी इन सबके मिले-जुले संगम की वजह से उकवा क्षेत्र की 26 पंचायत के लोगों को एकमात्र उकवा सेंट्रल बैंक के भरोसे अपने पूरे काम संचालित करने पड़ते हैं।
दक्षिण बैहर बेहद नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। क्षेत्र की 26 पंचायत के लिए एकमात्र उकवा सेंटर बैंक संचालित किया गया है जिसकी दूरस्थ गांव से दूरी लगभग 40 से 45 किलोमीटर दूर है।
उस प्रशासन की बेरुखी 60 हजार खाता धारक वाले इस बैंक में मैच 3 कर्मचारी कार्यरत हैं। छुट्टी के दिन को छोड़ दिया जाए तो बाकी पूरे समय सुबह से देर शाम तक उपवास सेंट्रल बैंक के बाहर तो जैसे हितग्राहियों की भीड़ एक आम बात हो गई है उस पर तकनीकी सुविधा का अभाव लिंक का फेल होना तो सोने पर सुहागा जैसी बात हो गई है।
चलिए आपको बताते हैं कि आखिरकार परेशानी हो क्यों रही है उकवा सेंट्रल बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि शासन द्वारा दर्जनों योजनाएं आदिवासी क्षेत्र के लिए संचालित की जा रही है अमूमन हर योजना का पैसा इधर आ ही के सीधे खाते में आता है इसके लिए हितग्राही बैंक पहुंचते हैं कई बार उन्हें मैसेज मिल जाता है कि पैसा खाते में आ गया है।
लेकिन पैसा बैंक तक नहीं पहुंच पाता नतीजा ऐसे में हितग्राहियों को एक से दो बार तक बैंक के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
यही नहीं इसके अलावा आधार कार्ड अपडेट सहित लोल खाता लिंक करवाना खाता बंद करवाना नया खाता शुरू करवाना लिमिट सहित अन्य काम भी शाखा में होते हैं इस कारण खाताधारक हमेशा इस बात से नाराज रहते हैं कि उनका काम समय पर नहीं हो रहा है।
आपको बता दें कि शासन द्वारा बीते वर्षो के दौरान गांव गांव में पैसे खर्च कर छोटे बैंक खुले गए थे जिससे तत्कालिक रूप में खाताधारकों को थोड़ी राशि इन बैंकों के माध्यम से दिए जाने का प्रावधान रखा गया था लेकिन शासन द्वारा इन बैंकों के निर्माण या कहें इन प्लास्टिक के डिब्बों के लिए पैसे तो खर्च किए गए लेकिन उनका उपयोग नहीं किया गया।
चलिए चलते चलते इस परेशानी भरे बैंक के उन गांव के नाम आप को गिरा देते हैं जिन्हें सुनकर आप पिक है उठेंगे की इतनी दूर के लोग हुआ केवल बैंकों के काम के लिए आते है।
उकवा सेंट्रल बैंक के अंतर्गत आने वाले गांव की सूची में दलदला, सोनपुरी, बिठली, सोनपुरी, सोनगुड्डा, डाबरी, दड़कसा, पाथरी, नवी, कदई, लहंगाकनार, लुद, कावेली, मोहनपुर, चालीबोडी सहित अन्य पंचायत शामिल है।