कोरोना महामारी के बुरे दौर में दवाइयों की खपत तेजी से बढ़ी है। ऐसे में फार्मा सेक्टर से जुड़े बिजनेस से आप भी कमाई कर सकते हैं। खास बात यह है कि बिजनेस स्टार्ट करने में केंद्र सरकार की मदद भी मिलेगी। क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोल रही है। सरकार की योजना 2024 तक केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 10 हजार करने की है, जो 11 जून तक 7,836 रही।
केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि सरकार की योजना देश में जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 10 हजार करने की है। वे हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के प्रागपुर में एक प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र का उद्घाटन करने पहुंचे थे। दरअसल, सरकार की योजना लोगों को सस्ती दरों में दवाएं उपलब्ध कराने की है।
दुकानदार को 20% का मार्जिन मिलता है
सरकार इस स्कीम के जरिए देश में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी कर रही है। इसके तहत जनऔषधि केंद्र खोलने पर दवा की बिक्री पर 20% मार्जिन दुकानदार को दिया जाता है। साथ ही नॉर्मल और स्पेशल इंसेंटिव का भी दिया जाता है।
केंद्र खोलने में लगी पूरी लागत होगी रिटर्न
अगर नॉर्मल इंसेंटिव के जरिए मिलने वाली राहत की बात करें तो इसमें सरकार दवा की दुकान खोलने में आने वाले खर्च को लौटा देती है। इसमें फर्नीचर पर आने वाले 1.5 लाख रुपए और कंप्यूटर व फ्रिज आदि रखने में आने वाला 50 हजार रुपए तक का खर्च शामिल है। सरकार इसके लिए 2 लाख रुपए की पूरी लागत लौटाने तक हर महीने अधिकतम 15 हजार रुपए लौटाती रहेगी। यह इंसेंटिव मंथली परचेज का 15% या 15 हजार रुपए में जो ज्यादा हो उसे ही दिया जाता है।
जन औषधि केंद्र खोलने के लिए तीन कैटेगरी हैं…
- कोई भी व्यक्ति, बेरोजगार फार्मासिस्ट, डॉक्टर या रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर स्टोर शुरू कर सकता है,
- कोई भी ट्रस्ट, NGO, प्राइवेट हॉस्पिटल, सोसायटी सेल्फ हेल्प ग्रुप,
- राज्य सरकारों की तरफ से नॉमिनेटेड एजेंसी।
अगर आपको जनऔषधि केंद्र खोलना है तो इसके लिए रिटेल ड्रग सेल्स का लाइसेंस जनऔषधि केंद्र के नाम से लेना होगा। इसके लिए आधिकारिक वेबसाइट https://janaushadhi.gov.in/ से फॉर्म डाउनलोड करें। फिर यह आवेदन ब्यूरो ऑफ फॉर्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ऑफ इंडिया के जनरल मैनेजर (A&F) के नाम से भेजना होगा।