बालाघाट जिला चिकित्सालय आए दिन किसी न किसी विषय को लेकर सुर्ख़ियों में बना ही रहता है चाहे वहां मरीज के परिजनों द्वारा मरीज को स्ट्रक्चर पर ले जाने का मामला हो या फिर महिलाओं की डिलीवरी के नाम पर डॉक्टरों द्वारा पैसे लेने का मामला क्यों ना हो जिला चिकित्सालय हमेशा अपनी लचर व्यवस्थाओं के चलते सुर्खियों में बना ही रहता है अभी हाल ही में महिलाओं के परिजनों द्वारा प्रस्तुति करने के नाम पर पैसा लेने का विषय जिला चिकित्सालय में छाया हुआ है
आपको बता दे की शहीद भगत सिंह जिला चिकित्सालय बालाघाट में इन दोनों ट्रामा सेंटर स्थित प्रसूति वार्ड में प्रसूति महिलाओं के परिजनों से सीजर करने के नाम पर 7 से 8 हजार रूपये लेने का मामला प्रकाश में आया है जहां एक ओर जिला चिकित्सालय में यह सर्व विदित है कि कोई भी प्रसूति के मारिजन यहां महिलाओ को सीजर करने लाते है उन्हें अच्छी खासी रकम डॉक्टर को देनी ही पड़ती है तब जाकर डॉक्टर द्वारा प्रसूतियो के ऑपरेशन करते हैं नहीं तो जिन मरीजों के द्वारा पैसा नहीं दिया जाता उन मरीजों का डॉक्टर सही से इलाज नहीं करते या फिर उनकी ओर ध्यान नहीं देते हैं वह वैसे ही वार्डों में तड़पते हुए पड़े रहते हैं जिस कारण से प्रसूति एवं के परिजनों द्वारा अपने मरीज की जान को बिना जोखिम में डालें मजबूरी वस जो यहां के डॉक्टर जितना पैसा लेते है उतना दे देते है भले ही उन डॉक्टरों के द्वारा किसी मरीज से पैसे की मांग नहीं की जाती है
कोई भी इस मामले को उजागर नहीं करना चाहता है- शकील सिद्दीकी
ऐसा ही एक वाक्य 16 अक्टूबर की देर रात जिला चिकित्सालय में प्रकाश में आया है जहां पर एक एंबुलेंस चालक शकील सिद्दीकी के द्वारा बताया की जिला चिकित्सालय के ट्रामा सेंटर में हर दिन 15 से 20 सीजर ऑपरेशन किए जाते हैं और उन ऑपरेशनों के एवज में अच्छी खासी रकम मरीजों के परिजनों से ली जाती है किंतु वह अभी किसी का नाम नहीं लेंगे क्योंकि उन्हें जिला चिकित्सालय में ही अपनी एंबुलेंस चलना है और इसी कारण वस यहां के कोई भी कर्मचारी किसी का नाम नहीं लेना चाहते और कोई भी इस मामले को उजागर नहीं करना चाहता है और पहले यहां सीजर के नाम पर 4 से 5 हजार रूपये एक मरीज से लिया जाता था किंतु अब यह राशि को बढ़ाकर 7 से 8 हजार रूपये कर दीया गया है उन्होंने बताया कि यह कोई उनके द्वारा सुनी सुनाई बातें नहीं बल्कि उनके द्वारा यह सब अपनी आंखों से देखा गया है और उन्होंने बताया कि जब वह मरीज को उनके घरों तक छोड़ने जाते हैं तो मरीज गाड़ी में बैठकर यह सब चर्चाएं करते हैं कि उन्होंने कितना पैसा किस डॉक्टर को दिया और कितने पैसे यहां मांगे जाते हैं जबकि देखा जाए तो जिले के बैहर ,उकवा ,मलाजखंड जैसे क्षेत्रों से जो लोग आते हैं उनके पास पैसे नहीं होते तो वह तड़पते रहते हैं और कई बार उन्हें इसका खामियाजा अपनी जान देकर भी भुगतना पड़ता है
सब को पता है पर कोई नहीं कहना चाहता पैसे देने की शिकायत –
जिला चिकित्सालय में पैसे लेने का मामला कोई आज का नया मामला नहीं है यह तो शुरू से ही चला आ रहा है कभी खुशी के नाम पर बख्शीश ली जाती है तो कभी सीजर करने के नाम पर मोटी रकम भर्ती हुए मरीजों के परिजनों से यहां के स्टाफ के द्वारा मांगा जाता है जबकि यह विषय यहां पर आए मरीजों को भी पता रहता है और यहां के आला अधिकारियों को भी इसकी पूरी जानकारी है इसीलिए इन्होंने जिला चिकित्सालय के ट्रॉमा वार्ड में पैसे मांगने को लेकर अपने नंबर भी चस्पा किये है ताकि पैसे मांगने की शिकायत जिला कलेक्टर को या फिर यहां के अधिकारियों को कर सके किंतु कोई भी यहां नहीं चाहता कि यदि उनका पेशेंट हॉस्पिटल में भर्ती हो और वह पैसे लेने की शिकायत आला अधिकारी या जिलाधीश से करें क्योंकि यदि वह ऐसा करते हैं तो उन्हें इसका खिमियाजा अपने मरीजों की जान गंवाकर करना पड़ेगा इसलिए कोई भी यहां पर डॉक्टर के पैसे लेने का मामले पर कोई कुछ नहीं बोलना चाहता है
यदि कोई पैसा देता है तो वह नाम के साथ शिकायत करें- संजय धबड़गांव
जब हमारे द्वारा सिविल सर्जन डॉ संजय धबड़गांव से चर्चा की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि शुरू में भी जिला चिकित्सालय के डॉक्टर एवं कर्मचारियों पर पैसे लेनदेन का मामला को लेकर आरोप लगाए गए थे और उनके द्वारा ट्रामा सेंटर में सभी जगह पर नोटिस चस्पा किया हुआ है कि यदि कोई पैसों की मांग करता है तो वह उन नंबरों पर तुरंत ही सूचना दे या संपर्क करें किंतु उन्होंने बताया कि लोग पहले ही ऑपरेशन के डॉक्टर को पैसा दे देते हैं या फिर किसी दलालों के माध्यम से उन्हें पैसा भिजवाते हैं तो इसमें वह कुछ नहीं कर पाएंगे कि वह जिला चिकित्सालय में आने वाले सभी मरीजों एवं उनके परिजनों से यही अपील करते हैं कि वह किसी को भी कोई पैसा ना दे और यदि कोई पैसा देता है तो वह नाम जद उसकी उनके पास शिकायत करें किंतु कोई भी उनके पास नाम जद शिकायत लेकर नहीं आता वहीं उन्होंने यह भी बताया कि आशा कार्यकर्ता और यहां पर सुरक्षा के लिए लगाए गए गार्ड की भी मरीज के परिजनों द्वारा उनके पास शिकायत की जाती है कि जिसको लेकर के उनके द्वारा बीच में आशा कार्यकर्ताओं के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया था और यहां के सुरक्षा पर लगे गार्ड को समझाइस दे दी गई है यदि कोई नाम से शिकायत करता है तो वह तुरंत कार्रवाई भी करेंगे और अभी भी उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं के प्रवेश पर निषेध जिला चिकित्सालय के कुछ वार्डों में रखा है
पैसे लेने की जानकारी सभी को है-
जिला चिकित्सालय के ड्रामा वार्ड में चल रहे सीजर के नाम पर पैसे लेनदेन का मामला सभी को है और सिविल सर्जन संजय धबड़गांव द्वारा भी हमें बताया गया कि इसकी जानकारी उन्हें भी है किंतु उनके पास किसी की नामजद शिकायत नहीं होने के कारण वह किसी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं और यह भी उतना ही सत्य है कि यहां पर आने वाले मरीज और उनके परिजन ही स्वयं चिकित्सकों को ऑपरेशन करने के नाम पर पैसा देते हैं जिसमें सबसे अधिक गलती उनके परिजनों की है क्योंकि वह ऑपरेशन के नाम पर पैसा देते हैं और जब शिकायत करने की बात आती है तो वह किसी की शिकायत नहीं करते इस कारण से ही इस पर वह कार्रवाई नहीं कर रहे हैं