बांग्लादेश में अब आदिवासी सड़क पर उतरे, मोहम्मद यूनुस सरकार के सामने रखा आठ सूत्रीय मांगों का चार्टर

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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के खिलाफ भी लोद सड़कों पर उतरने लगे हैं। देश के आदिवासी समुदाय के लोगों ने बांग्लादेश में एक बड़ी विरोध रैली की है। प्रदर्शन को समुदाय के बड़े नेताओं- विकास त्रिपुरा, रिपुल चकमा और मंगसाई मार्मा ने लीड किया है। भेदभाव-विरोधी पहाड़ी छात्र आंदोलन ने आदिवासी छात्रों की ओर से अंतरिम सरकार के सामने आठ सूत्रीय मांगों का एक चार्टर रखा है। मोहम्मद यूनुस ने भारी प्रदर्शनों के बाद गिरी शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के बाद देश की कमान संभाली है। ऐसे में उनके सामने इस मुद्दे को ठीक से संभालने की चुनौती है।

मोहम्मद यूनुस सरकार के सामने रखी गई मांगों में- आदिवासियों के लिए पहली और दूसरी श्रेणी की सरकारी नौकरियों सहित सभी ग्रेड में 5 प्रतिशत आदिवासी कोटे की मांग अहम है। साथ ही आदिवासियों को संवैधानिक स्वायत्तता और एनसीटीबी पाठ्यपुस्तकों में आदिवासियों के इतिहास और संस्कृति पर अध्याय भी शामिल किया जाना शामिल है।

मतदाता सूची को भी अपग्रेड करने की मांग

सीएचटी समझौते के प्रावधानों के अनुसार, मतदाता सूची को अपग्रेड करने के बाद हिल डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के चुनाव होने चाहिए। इसके अलावा, जिला परिषद अध्यक्षों और सदस्यों के भ्रष्टाचार की जांच की जानी चाहिए और उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अलावा आदिवासियों की भूमि के स्वामित्व का समाधान सीएचटी समझौते के अनुसार किया जाना चाहिए और 1900 अधिनियम विनियमों को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।

आदिवासियों की मागं है कि क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए तीन पहाड़ी जिलों में लोकतांत्रिक माहौल बनाने के लिए कानून का शासन स्थापित किया जाना चाहिए और सीएचटी में खेल निकायों में भर्ती आदिवासियों के बीच से की जानी चाहिए। सीएचटी में शैक्षणिक संस्थानों में आदिवासियों की शिक्षा व्यवस्था उनकी अपनी मातृभाषा में सुनिश्चित करके शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए और सार्वजनिक और निजी अधिकारियों के लिए दंड क्षेत्र के रूप में सीएचटी का उपयोग बंद किया जाना चाहिए।

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