सरकार की आत्मनिर्भर योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। इसके पीछे वजह उद्योग कार्यालय के पास बजट का अभाव है। अनलॉक के बाद भी कोरोना के साइड इफेक्ट सामने आ रहे हैं। दरअसल कोरोना काल में कई तरह के व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गए। निजी कंपनियों में कार्यरत बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में युवा और अन्य लोग अनलॉक होने के बाद नए रोजगार और व्यवसाय की तलाश कर रहे है। कई युवा अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाह रहे हैं। लेकिन उद्योग कार्यालय में बजट का अभाव उनके सपनों को पंख नहीं लगा पा रहा है। बेरोजगार युवा लोन के लिए उद्योग कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन सभी तरह की योजनाएं बंद चल रही है। जिससे उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है। सरकार की जन हितेषी योजना भी 2 साल से बंद है।
3 सैकड़ा ने किया आवेदन
जिला उद्योग कार्यालय बालाघाट से मिले आंकड़ों के अनुसार कार्यालय में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना शिक्षित बेरोजगारों को लोन प्रदान करती है जिसमें अधिकतम 25 लाख रुपए का लोन दिया जाता है जो बड़े उद्योग धंधे स्थापित करने के लिए है।कोरोना काल के अलावा सामान्य समय के दौरान भी जिले के बेरोजगारों द्वारा मुख्य रूप से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लोन प्राप्त करने के लिए आवेदन अधिक मात्रा में किए गए हैं। जानकारी यहीं मिली कि यह योजना बीते 2 वर्ष से बजट के अभाव में यह योजना बंद है। बीते 2 सैकड़ा और इस वर्ष 1 सैकड़ा से अधिक बेरोजगारों ने इस योजना में लाभ पाने के लिए आवेदन किया है। लेकिन बजट के अभाव में किसी को भी योजना का लाभ नहीं मिला।
वरिष्ठ स्तर से नहीं आवंटन
इस विषय पर जिला उद्योग कार्यालय की जिम्मेदार अधिकारियों ने कैमरे पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया उन्होंने जानकारी दी की पुराने जिला उद्योग अधिकारी श्री चौरसिया सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नए जिला उद्योग अधिकारी 1 अगस्त तक ज्वाइन करेंगे। योजनाओं का संचालन वरिष्ठ स्तर से किया जाता है योजना बंद होने शुरू होने की विषय में भी वरिष्ठ स्तर से ही जानकारी दी जाती है।