बालाघाट (पद्मेश न्यूज)। समय के साथ सब बदल गया नही बदले तो सिर्फ निमटोला के हालात। आज भी लोग वहां बरसात के चार महीने काला पानी जैसी सजा भुगतने को मजबूर है। ऐसा इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि लांजी क्षेत्र के अंतर्गत पडऩे वाले घंसा ग्राम पंचायत के निमटोला में 100 साल बीत जाने के बाद भी यहा पक्की सडक़ नही बन पाई है। इस गांव में बारिश के चार महीने इतना कीचड़ रहता है कि लोगो का आना जाना बहुत ही कष्टो भरा रहता है। इन चार महीनों में निमटोला गांव के लोग नजरबंद से हो जाते है, ज्यादा ही जरूरी काम होने पर गांव से निकलते है। यहां के लोग समस्या बताते-बताते थक गये लेकिन शासन प्रशासन से इस गांव की समस्या को दूर करने कोई प्रयास आज तक नही किया।
कीचड़ के कारण नहीं आते बाहर के लोग
इस गांव की रोड इतनी खराब है कि बाहर से आने वाले लोग कीचड़ देखकर गांव के बाहर से ही वापस लौट जाते है। और जिन लोगों को निमटोला के बारे में पता है वे लोग इन 4 महीनों में निमटोला में जाना पसंद ही नहीं करते। निमटोला के यह हालात है कि अगर निमटोला में कोई घटना हो जाए तो यहां न हीं कोई एंबुलेंस पहुंच पाएगी ना ही फायर ब्रिगेड वाहन।
बड़े नेताओं के ध्यानाकर्षण का इंतजार कर रही सडक़
आपको बताये कि इस गांव में कई जनप्रतिनिधि भी अच्छे पदों पर रहे हैं लेकिन उनके द्वारा अपने गांव की सडक़ बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। ग्राम घंसा से श्रीमती कलावती गिरिया जिला पंचायत सदस्य रही है जिला पंचायत की बैठकों में बैठते रही है। अरुण गिरिया जनपद पंचायत लांजी के उपाध्यक्ष रहे हैं इनके पद पर रहने के दौरान लोगों को उम्मीद थी कि निमटोला की सडक़ बन जाएगी लेकिन वह सडक़ आज भी बड़े नेताओं के ध्यानाकर्षण का इंतजार कर रही है।
पीडब्ल्यूडी विभाग के अंतर्गत आती है यह सडक़
ग्राम टेकेपार से कटंगी तक का 3 किलोमीटर मार्ग पीडब्ल्यूडी विभाग के अंतर्गत आता है कई वर्ष पूर्व इस सडक़ में डब्ल्यूबीएम कार्य कराया गया था, उसके बाद पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा इस सडक़ तरफ कभी मुड़ कर नहीं देखा गया। यह कहे कि पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों द्वारा कई बार शिकायतें होने के बावजूद भी धरातल पर पहुंचकर स्थिति का कभी जायजा नहीं लिया गया।
महिलाओं ने आंदोलन करने का लिया निर्णय
कहा जाता है कि जब पुरुष का हौसला टूट जाता है तब महिलाओं को सामने आकर संघर्ष करने का बीड़ा उठाना पड़ता है, वही अब ग्राम घंसा के गंगा ग्राम संगठन से जुड़ी महिलाओं द्वारा सडक़ को बनवाने आंदोलन करने का ठान लिया गया है। बताया जा रहा है कि ग्राम संगठन की महिलाएं हाल ही में ग्राम संगठन की बैठक में जा रही थी तब अत्यधिक कीचड़ होने के कारण दो महिलाएं गिर गई थी जिसके कारण कपड़े खराब होने से महिलाओं को बहुत परेशान होना पड़ा। महिलाओं ने बताया कि वे गांव में पक्की सडक़ बनवाने के लिए ग्राम से लेकर बड़े स्तर तक आंदोलन करेगी।
100 साल से ज्यादा का समय हो गया – छबीलाल
ग्राम घंसा निवासी छबीलाल गिरिया ने बताया कि ग्राम निमटोला के इस सडक़ की बहुत ही गंभीर हालत हो गई है कि इसमें परहा लगाया जा सकता है। कीचड़ इतना है कि यहां रहना मुश्किल है लेकिन जीवन काटना ही पड़ता है। 100 साल से ज्यादा समय हो गया लेकिन यह सडक़ नहीं बनी, नेता लोग इस सडक़ को बनाने ध्यान ही नहीं देते। हमेशा सडक़ बन जाएगी यही आश्वासन दिया जाता है ऐसे नेताओं को अब क्या जिताएंगे।
वाहन निकल नहीं पाते – राधे लिल्हारे
ग्रामीण राधे लिल्हारे ने बताया कि यह सडक़ बहुत ज्यादा बदहाल अवस्था में है ऐसा लगता है हम लोग कीचड़ में बैठे हैं। घंसा के दूसरे टोलों से निमटोला में जाना हो तो बहुत सोचना पड़ता है। यहां से कोई वाहन निकल ही नहीं पाते, बाहर के लोग आते हैं तो निराश होकर वापस उन्हें लौटना पड़ता है।
कीचड़ के कारण कई बच्चे स्कूल नहीं जा पाते – फागुलाल
ग्राम निमटोला निवासी फगुलाल लिल्हारे ने बताया कि इस रोड में बहुत तकलीफ है उन्हें रोज बोझा लेकर सब्जी बेचने के लिए जाना पड़ता है इस सडक़ को बनाने कोई नेता ध्यान नहीं दे रहा है। यह सडक़ बहुत बुरी स्थिति में है निमटोला के बच्चों को स्कूल जाने में बहुत परेशानी होती है कई बच्चे कीचड़ के कारण स्कूल नहीं जा पाते, बाहर शहरों में रहने वाले लोग कीचड़ के कारण गांव में आने नहीं देखते।
पैसा सेंक्शन करके इस सडक़ को जल्द बनाएंगे – रेखा बिसेन
इसके संबंध में चर्चा करने पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रेखा बिसेन ने बताया कि अंतिम छोर की जो भी सडक़े हैं उन सडक़ों को बनवाने हम काम करेंगे, इसके लिए उसका इस्टीमेट बनाएंगे। भले ही घंसा गांव की सडक़ पहले ना बनी हो लेकिन हमारा पूरा प्रयास होगा पीडब्ल्यूडी विभाग से हो या शासन से हो पैसा सैंक्शन करके सडक़ को जल्दी बनाएंगे। पीडब्ल्यूडी विभाग वालों के अधिकारी को बुलाकर उनसे पूछा जाएगा क्यों आज तक इस सडक़ को बनाने ध्यान नहीं दिये।