वारासिवनी में भदन्त दिठीविशुध्दी का 6 अगस्त को प्रथम नगर आगमन हुआ जिस पर बौद्ध उपासक उपासिकाओं के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें समस्त बौद्ध उपासक एवं उपासिका नगर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय चौक पर एकत्रित हुए जहां पर बालाघाट से भदन्त सम्पजानु (दुर्ग से) के साथ भदन्त दिठीविशुध्दी का प्रथम आगमन हुआ जिनका पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया गया तत्पश्चात दीनदयाल चौक से पैदल यात्रा निकाली गई जो रामपायली मार्ग के विभिन्न स्थानों का भ्रमण करते हुए वार्ड नंबर 1 शंकर नगर स्थित तक्षशीला वाचनालय वारासिवनी में पहुंची जहां पर भोजनदान एवं वर्षावास के सुअवसर पर धम्म देशना का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें सर्वप्रथम भदंत के द्वारा तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा एवं डॉ भीमराव अंबेडकर के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात धम देशना कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया जिसमें उनके द्वारा धाम और भगवान गौतम बुद्ध के जीवन पर प्रकाश डालते हुए विस्तार पूर्वक बताया गया वहीं धाम क्या है इसका पालन किस प्रकार किया जा सकता है इसके बारे में बताते हुए कहा गया कि वर्तमान समय आधुनिकता का समय है ऐसे में एकाग्रता हर किसी के जीवन में नहीं है के लिए सभी को दम का पालन करना चाहिए साथ ही अन्य प्रकार के सुविचार बताये गये। तत्पश्चात भोजन दान कार्यक्रम किया गया जिसमें उपासक उपसिकाओ के द्वारा लाया गया अपना-अपना टिफिन से भोजन किया गया। जिसके बाद शाम 5:00 बजे सभी के द्वारा भदन्त सम्पजानु (दुर्ग से) और भदन्त दिठीविशुध्दी को विदाई दी गई दो कटंगी की ओर रवाना हो गये। पद्मेश से चर्चा में अभिराज मेश्राम ने बताया कि भदन्त सम्पजानु (दुर्ग से) के साथ भदन्त दिठीविशुध्दी का प्रथम नगर आगमन हुआ भदन्त दिठीविशुध्दी युवा भदंत है जिनके द्वारा हाल ही में दीक्षा ली गई है उनकी उम्र करीब 22 से 24 वर्ष की है जिनके आगमन पर उनका स्वागत कर पैदल यात्रा निकालकर तक्षशिला वाचनालय में पहुंचे जहां पर दम देशना एवं भोजन दान कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस दौरान भंते जी के द्वारा धम्म के बारे में विस्तार पूर्वक बढ़कर ज्ञान दिया गया जहां से यह कटंगी के लिए रवाना हो गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में बौध्द उपासक एवं उपासिकाऍ मौजूद रहे।