प्रदेश में खेतों से जुड़े भूमि के विवाद खत्म करने के लिए नए सिरे से नक्शे बनाए जाएंगे। सबसे पहले उन गांवों का चयन किया जाएगा, जिनके नक्शे ही नहीं हैं। इसके बाद उन गांवों को लिया जाएगा, जहां कोई विवाद नहीं है। यह पूरा काम चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। इसमें किसी बाहरी एजेंसी की अब मदद नहीं ली जाएगी। यह काम राजस्व विभाग के पटवारी करेंगे। इसके लिए उन्हें अलग से प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर छिंदवाड़ा और इंदौर में महू के दो-दो पटवारी हलकों से नक्शे बनाने की शुरुआत की गई है। पटवारी मौके पर जाकर नक्शे बनाएंगे। इससे विवाद की गुंजाइश खत्म होगी और कब्जे को लेकर स्थिति भी साफ हो जाएगी।
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में एक करोड़ 49 लाख खातेदार हैं और खसरे साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा हैं। विवाद निजी भूमि को लेकर आए दिन आते हैं। इन्हें सुलझाने में काफी परेशानी होती है क्योंकि नक्शे काफी पुराने हो चुके हैं। इसकी वजह से सीमा को लेकर झंझट होती है और जो नक्शे मौजूद भी हैं, उनमें काफी त्रुटियां हैं। इसे देखते हुए नए सिरे से जीआइएस तकनीकी से नक्शे बनाने का निर्णय सरकार ने लिया है।
पटवारी को मिलेंगे दो हजार रुपये
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस काम को अंजाम देने के लिए पटवारियों को अलग से राशि दी जाएगी। दो हजार स्र्पये प्रति वर्ग किलोमीटर के हिसाब से दिए जाएंगे। वहीं, सात हजार रुपये अलग से कागज आदि प्रशासनिक व्यय के लिए मिलेगा। इसके लिए पटवारी को बिल देना होगा।
चरणबद्ध तरीके से होगा काम
आयुक्त भू-अभिलेख ज्ञानेश्वर पाटिल ने बताया कि सतना, नीमच सहित कुछ जिलों में नक्शेविहीन गांव हैं तो कुछ जगहों पर नक्शों को लेकर विवाद है। भूमि रिकॉर्ड में किसी के नाम पर है और मौके पर कब्जा किसी और का है। सीमा को लेकर भी विवाद की स्थिति बनती रहती है। इसे देखते हुए सरकार ने नए सिरे से नक्शे बनाने का निर्णय लिया है। अभी पायलट प्रोजेक्ट किया जा रहा है। धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ाया जाएगा।