मध्‍य प्रदेश सरकार पर भारी अधिकारियों के बिगड़े बोल, पर नहीं होती ठोस कार्रवाई

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फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स” को लेकर ट्वीट करने से चर्चा में आए आइएएस अधिकारी नियाज खान का मामला प्रदेश में नया नहीं है। इसे पहले लोकेश जांगिड़, सिबि चक्रवर्ती एम. जगदीश चंद्र जटिया सहित कई आइएएस अधिकारी अपने बिगड़े बोल से सरकार को मुश्किल में डालते रहे हैं। इनमें से ज्यादातर मामलों में सरकार ने नोटिस जारी किए, तबादले किए और कुछ समय में मामला शांत हो गया। किसी भी अधिकारी पर कोई ठोस कार्रवाई कभी नहीं हुई। शायद यही कारण है कि सिविल सेवा आचरण नियमों से बंधकर रहने वाले ये अधिकारी इंटरनेट मीडिया में बिगड़े बोल बोलने से नहीं चूक रहे हैं।

मुसलमानों की हत्या दिखाने के लिए भी एक फिल्म बनाने की बात ने तूल पकड़ लिया है। यह मांग आइएएस नियाज खान ने की है। करीब सात दिन से यह मामला गर्माया हुआ है। दो मंत्री, एक विधायक और एक भाजपा नेता नियाज खान पर कार्रवाई की मांग कर चुके हैं और प्रधानमंत्री कार्यालय, संघ लोक सेवा आयोग, कार्मिक मंत्री को पत्र लिखा जा चुका है पर मामले का पटाक्षेप अभी नहीं हो पाया है।

सरकार को जीरो टालरेंस पालिसी बनाना होगी : शर्मा

पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा कहते हैं कि इंटरनेट मीडिया पर किसी भी अधिकारी का जातिगत, राजनीतिक और सामाजिक पोस्ट डालना अनुचित है। ये साफतौर पर सिविल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन है। ऐसी पोस्ट लोगों में दूरियां बढ़ाती हैं। नए समस्याएं खड़ी करती हैं। ऐसा होना अनुशासन का उल्लंघन है और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार ढिलाई बरत रही है। नोटिस या तबादला ही इसका हल नहीं है। कई बार कार्रवाई होती भी है पर लचर तरीके से। सरकार को सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए। इसके लिए जीरो टालरेंस पालिसी होनी चाहिए।

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केस-एक

मंडला कलेक्टर रहते हुए जनवरी 2020 में जगदीश चंद्र जटिया ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर फिल्म ‘छपाक” का पोस्टर अपलोड किया और लिखा ‘तुम चाहे जितनी घृणा करो, हम देखेंगे छपाक”। इसके बाद उनके मित्रों ने टिप्पणी लिखीं। मित्रों को जवाब देते हुए जटिया ने लिख दिया था कि उन्हें अपने विवेक का इस्तेमाल करना आता है। वे सीएए, एनआरसी का समर्थन नहीं करते। हालांकि विवाद बढ़ता देख जटिया ने अपनी पोस्ट हटा ली।

केस-दो

नरसिंहपुर कलेक्टर रहते हुए वर्ष 2016 में सिबि चक्रवर्ती एम ने तमिलनाडू में दूसरी बार सरकार बनाने पर जयललिता की न सिर्फ तारीफ की, बल्कि फेसबुक बाल पर उन्हें बधाई भी दे दी। नौकरशाही और मंत्रालय में इसे लेकर सरगर्मी बढ़ी, तो चक्रवर्ती ने दो घंटे में ही पोस्ट हटा दी।

केस-तीन

बड़वानी जिले में अपर कलेक्टर रहते हुए वर्ष 2021 में लोकेश जांगिड़ सरकार और सिस्टम के खिलाफ खुलकर बोले। उन्होंने अपने ही कलेक्टर पर गंभीर आरोप लगाए। आइएएस अधिकारियों के आफिशियल ग्रुप में उन्होंने लिखा कि कलेक्टर मेरी वजह से पैसा नहीं खा पा रहे थे, इसलिए मुख्यमंत्री के कान भरकर उन्हें हटवा दिया। यह चैट चंद घंटों में ग्रुप से हटा दी गई। उन्हें नोटिस दिया और बाद में जिले से हटाकर भोपाल पदस्थ किया।

केस-चार

बड़वानी कलेक्टर रहते हुए अजय गंगवार ने वर्ष 2016 में फेसबुक वाल पर नेहरू-गांधी परिवार की तारीफ कर दी। यह तारीफ गंगवार को भारी पड़ी। उन्हें जिले से हटा दिया और मंत्रालय में उप सचिव पदस्थ कर दिया गया। काफी समय बाद उन्हें नई पदस्थापना दी गई। गंगवार अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं

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