महेश्वर में नर्मदा की सहस्रधारा में 10 साल में चली गईं 250 जानें

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धार्मिक एवं पर्यटन नगरी महेश्वर से सैलानियों के पसंदीदा पर्यटक स्थलों में से एक है, लेकिन सुरक्षा इंतजामों के मामले में यहां स्थिति बेहद लचर है। महेश्वर के ख्यात सहस्रधारा में पिछले दस सालों में 250 सैलानी जान गवां चुके हैं। बावजूद इसके यहां सुरक्षा इंतजामों पर प्रशासन का ध्यान नहीं जा सका है। हाल ही में इंदौर से पिता-पुत्र की भी सहस्रधारा में डूबने से जान जा चुकी है। आश्चर्य की बात यह है कि शून्य सुरक्षा इंतजामों के बाद भी जिले के मुखिया महेश्वर को सैलानियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित मानते हैं।

महेश्वर से पांच किमी दूर स्थित सहस्रधारा पर्यटन स्थल सैलानियों के बीच अपनी खासियतों की वजह से अत्यधिक लोकप्रिय है। यहां सैकड़ों चट्टानों के बीच से बहती पुण्य सलिला अनुपम सौंदर्य प्रदर्शित करती है। महेश्वर की यात्रा पर आने वाले सैलानी की यात्रा सहस्रधारा जाए बिना पूरी नहीं होती। राष्ट्रीय स्तर की केनो सलालम स्पर्धा के आयोजन स्थल होने से इसकी लोकप्रियता और बढ़ गई है। हजारों साल पुराने इस स्थान पर साल भर सैलानियों का तांता लगा रहता है। पुराणों में भी सहस्त्रधारा का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि सहस्रधारा वही स्थल है, जहां भगवान कार्तिकेय वीर्य सहस्रबाहु ने अपनी सहस्र भुजाओं से दशानन को बंदी बनाया था।

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