१४ अक्टूबर को नवरात्र पर्व पूरे देश में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जायेगा। जिसको देखते हुये नगर में भी पर्व को लेकर तैयारी प्रारंभ हो गई है। इसी तारतम्य में स्थानीय कुम्हारो ने भी माता रानी की प्रतिमा को अंतिम मूर्त रूप देना प्रारंभ कर दिया है। हालांकि इस मर्तबा वार्ड नं.१० में लगभग एक सैकड़ा माता रानी की प्रतिमाओं को कुम्हारो द्वारा बनाया जा रहा है। मगर उन्हे शासन से किसी प्रकार की सुविधा व अन्य संसाधन प्राप्त न होने की वजह से उन्हे महंगाई की मार से जूझना पड़ रहा है। वर्तमान समय में उनके द्वारा प्रतिमाओ का रंग रोगन करने का कार्य किया जा रहा है।
प्रतिमा निर्माण हमारा पुस्तैनी धंधा – दिलीप
पद्मेश को जानकारी देते हुये मूर्तिकार दिलीप तुम्मने ने बताया कि भगवानो की प्रतिमा बनाने का कार्य हमारा पुस्तैनी है। मगर हमे न तो मिट्टी मिलती है और न ही लकड़ी ऐसे में महंगाई के इस दौर में हम कैसे कार्य कर रहे है यह हम ही जानते है। फिर भी हम लोग माता रानी गणेश भगवान, कृष्ण भगवान, मॉ लक्ष्मी की प्रतिमा प्रतिवर्ष बनाते है। जो माता रानी के भक्त है वे भी प्रतिमा का उचित दाम नही देते जिससे हमे उतना पैसा बच नही पाता जितना बचना चाहिये। मगर मॉ की आस्था का यह पर्व है जिसको देखते हुये करीब एक सैकड़ा से अधिक प्रतिमाओं का हमारे मोहल्ले के कुम्हारो ने निर्माण किया है। श्री तुम्मने ने बताया कि इस बार प्रतिमाओं पर जो कलर पेंट किया जा रहा है। उसके दाम भी अधिक है ऐसे में हमे मिट्टी व लकड़ी शासन को मुहैया करानी चाहिये।
सौ से अधिक प्रतिमाओ का किया गया है निर्माण – रामकिशोर
इसी तरह मूर्तिकार रामकिशोर तुम्मने ने पद्मेश को बताया कि इस मर्तबा हमारे कुम्हारो द्वारा सौ से अधिक प्रतिमाओ का निर्माण किया है। इन प्रतिमाओं का वर्तमान समय में रंग रोगन किया जा रहा है। हमे मौसम का भी इस वर्ष अच्छा साथ मिल रहा है। हमे अन्य संसाधनो से प्रतिमाओ को सूखाना नही पड़ रहा है। मगर प्रतिमाओ के दाम काफी कम भक्त गण देते है। ऐसे में हमे काफी तकलीफ होती है। भक्तगण कहते है कि हर वर्ष आप लोग दाम बढ़ाते है मगर जिस तरह महंगाई बढ़ रही है तो हर चीज के दाम बढ़ रहे है फिर भी पेट पालने के लिये थोड़ी बहुत कमाई हो जाती है। श्री तुम्मने ने बताया कि इस बार अधिकांश मूर्ति ग्रामीण क्षेत्र में बैठने वाली माता रानी की बनाई जा रही है। जिसमे रामपायली, लालबर्रा, खैरलांजी वारासिवनी की प्रतिमाऐ भी शामिल है। हम इन प्रतिमाओ को फाईनल टल दे रहे है। संभवता हम सभी मूर्तिकारो की प्रतिमाऐ १३ अक्टूबर तक तैयार हो जायेंगी। वही भक्तगण इन्हे १४ अक्टूबर की सुबह से लेकर रात तक लेकर जायेंगे।
न मिली मिट्टी खदान और नही मिलते लकड़ी के चट्टे
गौरतलब है कि वारासिवनी के कुम्हार काफी लंबे समय से मिट्टी की खदान प्रदान किये जाने की मांग कर रहे है। साथ ही उन्हे डिपो से लकड़ी के चट्टे भी प्राप्त नही होते। ऐसे में यह दोनो सामग्री के लिये उन्हे खरीदना पड़ रहा है। उनके द्वारा इस समस्या को लेकर एसडीएम, कलेक्टर व विधायक को भी ज्ञापन सौंपकर अवगत कराया गया है मगर उनकी समस्या का समाधान नही हुआ है। ऐसे में इस महंगाई भरे दौर पर उन्हे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।