मालदीव के राष्‍ट्रपति की चीन यात्रा से ठीक पहले आया अमेरिकी विदेश मंत्री का फोन, जानें क्या हुई बातचीत

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मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के चीन रवाना होने से ठीक पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर से बातचीत की है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने रक्षा सहयोग, आर्थिक विकास, जलवायु संकट से निपटने और लोकतांत्रिक शासन के महत्व पर मूसा जमीर से बात की है। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, ब्लिंकन ने स्वतंत्र और समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार मालदीव के साथ सहयोग को मजबूत करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता को दोहराया है।

मालदीव की ओर से जारी बयान में कहा गया है, जमीर और ब्लिंकन के बीच रक्षा सहयोग, आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन और लोकतांत्रिक शासन सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। ब्लिंकन ने दोनों देशों की साझेदारी के महत्व को दोहराते हुए मालदीव के साथ साझा प्राथमिकताओं पर काम जारी रखने का वादा किया है। ब्लिंकन के साथ बात करते हुए मूसा जमीर ने उनको अमेरिका के साथ काम करने की राष्ट्रपति मुइज्जू सरकार की तत्परता से अवगत कराया। जमीर ने मालदीव को निरंतर समर्थन देने और साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिकी सरकार के प्रति आभार भी व्यक्त किया।

भारत से पहले चीन जाने वाले पहले राष्ट्रपति हैं मोइज्जू

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अगले सप्ताह चीन के दौरे पर होंगे। आधिकारिक घोषणा में माले ने गुरुवार को कहा कि मुइज्जू 7 से 12 जनवरी तक चीन की यात्रा करेंगे। ऐसा करके मोइज्जू भारत की यात्रा से पहले चीन की यात्रा करने वाले लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित मालदीव के पहले राष्ट्रपति बनेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू सोमवार से चीन की राजकीय यात्रा करेंगे। चीन ने मोइज्जू की यात्रा के लिए भारत पर भी अप्रत्यक्ष तौर पर तंज कसा है।

मुइज्जू के चीन की राजकीय यात्रा करने पर भारत ने कहा है कि उन्हें तय करना है कि वे कहां जाते हैं और अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में कैसे आगे बढ़ते हैं। नई दिल्ली में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन थिंक टैंक में मैरीटाइम पॉलिसी इनिशिएटिव के प्रमुख अभिजीत सिंह ने कहा, मोइज्जू चीन के साथ घनिष्ठ मित्रता के लिए उत्सुक हैं, जो भारत के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। मालदीव के राष्ट्रपति अगर भारत के साथ बातचीत जारी रखने के इच्छुक नहीं हैं और उनकी हरकतें माले और दिल्ली के बीच दूरियां पैदा कर रही हैं। ये निश्चित ही भारत के लिए फिक्र की बात है।

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