मुरैना । मुरैना जिला मुख्यालय से चंद किमी दूर चंबल नदी के तटीय इलाके में मादा तेंदुआ का शव मिलने से वन विभाग में हलचल मच गई। नौ दिन पहले भी एक मादा तेंदुआ का शव ऐसी ही हालत में मिला था। तेंदुए के शव पर चोट या घाव के कोई निशान नहीं मिले। फिर भी आला अफसरों ने शिकार की संभावनाओं को पूरी तरह नकारा नहीं है। रविवार रात 8 बजे के करीब ग्रामीणों ने गड़ोरा क्षेत्र में झरोना सरकार मंदिर के पास तेंदुए के शव की सूचना डायल-100 को दी थी। पुलिस ने यह सूचना वन विभाग तक पहुंचाई।
मृत तेंदुए की उम्र डेढ़ से दो साल के बीच बताई गई है। शव पर चोट या घाव के कोई निशान नहीं हैं। पोस्टमार्टम के बाद उसकी मौत का सही कारण पता लगाने के लिए बिसरा सैंपल हैदराबाद व जबलपुर की वन्यजीव लैब भेजे गए हैं। शिकारी ऐसे खतरनाक वन्यजीवों का शिकार करंट से या जहर देकर भी करते हैं।
करंट से मौत से तो वन विभाग साफ इन्कार कर रहा है, लेकिन जहरखुरानी कर शिकार की बातों से साफ इन्कार नहीं कर रहा। वन विभाग ने उस जगह के पानी के सैंपल भी लिए हैं, जहां शव मिला। 8 दिन पहले भी हुई थी मौत 14 फरवरी को सबलगढ़ क्षेत्र के जवाहरगढ़ व विजयपुर के गढ़ी के बीच में 2 साल की मादा तेंदुआ का शव मिला था। उसके शरीर पर भी कोई निशान नहीं थे।
उसके सैंपल जबलपुर व हैदराबाद भेजे गए हैं, वहां से रिपोर्ट तो नहीं आई, लेकिन मौखिक तौर पर मुरैना डीएफओ को मिली जानकारी में मौत का कारण ब्रेन हेमरेज बताया गया है। 10 दिन में 2 तेंदुओं की असमय मौत के बाद केवल 3 तेंदुए ही क्षेत्र के जंगलों में रह गए हैं।
इनका कहना
गड़ोरा गांव के पास मादा तेंदुआ का शव मिला है। मौत का सही कारण पीएम रिपोर्ट के बाद ही बता पाएंगे। 10 दिन पहले जवाहरगढ़ क्षेत्र में मृत मिले तेंदुए की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई थी।