ये चुनावी शिकस्त की टीस है, जाते-जाते ही जाएगी

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Publish Date: | Mon, 07 Jun 2021 09:39 AM (IST)

सरकारी दरबारी : ये चुनावी शिकस्त की टीस है, जाते-जाते ही जाएगी
सरकारी दरबारी : कोरोना जैसी महामारी हो तो राजनीति परे रख देनी चाहिए, पर लगता है यह ऐसी बीमारी बनती जा रही है जो प्री कोविड और पोस्ट कोविड भी है।

सरकारी दरबारी : जितेंद्र यादवhttps://imasdk.googleapis.com/js/core/bridge3.463.0_en.html#goog_2012728035Ads by Jagran.TV

कोरोना जैसी महामारी हो तो राजनीति परे रख देनी चाहिए, पर लगता है यह ऐसी बीमारी बनती जा रही है जो प्री कोविड और पोस्ट कोविड भी है। बाणगंगा में कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला के सहयोग से वैक्सीनेशन सेंटर शुरू किया गया। सेंटर का पता- शुक्ला के घर के सामने लिखा गया। भाजपा के पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता को यह अखर गया। प्रशासन पर दबाव बनाकर सेंटर बंद करा दिया। पिछले सप्ताह आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में इसी मुद्दे पर शुक्ला-गुप्ता वार्तालाप इंदौरी नमकीन की तरह कुछ तीखा हो गया। शुक्ला को आपत्ति थी, एक तरफ शासन-प्रशासन तेजी से वैक्सीनेशन कराना चाहता है, दूसरी तरफ चलता सेंटर बंद करा दिया? गुप्ता के मुताबिक, यह सेंटर किसी नेता के घर नहीं हो सकता। अब यह चर्चा चल पड़ी है कि यह चुनावी शिकस्त की टीस है, जाते-जाते जाएगी।

प्रमोशन का असर : सात एडीएम, आठ एसडीएम

इंदौर में कभी तो प्रशासनिक अधिकारियों का अकाल हो जाता है और कभी इफरात हो जाती है। फिलहाल यहां अधिकारियों के प्रमोशन के कारण रोचक स्थिति बन गई है। शहर में अभी अपर कलेक्टर एडीएम की संख्या सात हो गई है। वरना कभी तो यह तीन-चार ही हुआ करती थी। फिलहाल अपर कलेक्टर के रूप में एडीएम पवन जैन, अजयदेव शर्मा, अभय बेड़ेकर, बीबीएस तोमर तो पहले से थे, लेकिन कुछ महीने पहले राजेश राठौर और आरएस मंडलोई भी पदोन्नत होकर अपर कलेक्टर बन गए। हाल ही में रवि सिंह भी पदोन्नत हो गए हैं। दूसरी तरफ शहर में शाश्वत शर्मा, प्रतुल सिन्हा, अंशुल खरे, पराग जैन, मुनीष सिंह सिकरवार, अक्षय मरकाम, सुनील झा और विशाखा देशमुख मिलाकर एसडीएम आठ हैं। यानी एडीएम भी लगभग एसडीएम के बराबर ही हैं। अब देखना है, शासन एडीएम के इस संख्या को बल को कम करेगा या इंदौर में ही इनसे काम लेगा?

महंगी पड़ी सस्ते इंजेक्शन की वाहवाही

ब्लैक फंगस के इलाज के लिए शासनप्रशासन ने हिमाचलप्रदेश से 12 हजार सस्ते इंजेक्शन तो बुलवा लिए, इस पर खूब वाहवाही भी लूट ली, लेकिन अब मरीजों पर रिएक्शन की शिकायतें आ रही है। ऐसे में अफसर और डाक्टर बैकफुट पर आ गए हैं। एमवाय अस्पताल के अलावा उज्जैन और जहां-जहां यह इंजेक्शन मरीजों को लगाए गए, अचानक उनको बुखार आ गया और किडनी पर असर पड़ रहा है। ऐसे में सस्ते इंजेक्शन की यह वाहवाही अब महंगी पड़ती जा रही है। अब डाक्टर भी यह सस्ता इंजेक्शन लगाने से हाथ पीछे खींच रहे हैं। आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में कांग्रेसी जनप्रतिनिधियों ने भी यह मामला जमकर उठाया तो डाक्टरों को जवाब देना मुश्किल पड़ गया। हालांकि ब्लैक फंगस की दवा एम्फोटेरेसिन-बी की भारी किल्लत के चलते प्रशासन कुछ बेहतर करने ही निकला था, लेकिन उसे नहीं पता था कि मरीजों के लिए ऐसी मुश्किल खड़ी हो जाएगी।

आने वाला है अफसरों की बदली का मौसम

वैसे तो सरकारी अफसरों के तबादलों का मौसम अप्रैल-मई होता है, लेकिन सरकार के लिए क्या अप्रैल-मई और क्या जून-जुलाई। जलवायु परिवर्तन के दौर में शासन की जलवायु भी कब ऊष्ण, कब नमीयुक्त और कब शीत प्रकृति की हो जाए पता ही नहीं चलता। खबर है कि प्रदेश के आइएएस और आइपीएस अफसरों की बदली का मौसम बस आने ही वाला है। जिस तरह मानसून के लिए बादल उमड़घुमड़ रहे हैं और कभी बरस भी रहे हैं, वैसे ही आइएएस अफसरों की बदलियों के मानसून के बादल भी जल्दी ही बरस सकते हैं। शासन के मौसम विज्ञानियों का मानना है कि इस बदली के मानसून में इंदौर संभाग के तीन-चार जिलों के कलेक्टर भी इधर-उधर हो सकते हैं। खंडवा, खरगोन, धार जिलों में बदलाव की आहट सुनी जा रही है। इन बदलावों के कारण अलग-अलग बताए जा रहे हैं।

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