रंगों के उल्लास पर चुनावी पहरा, गेर से दूर रहेंगे राजनीति के चेहरे

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शहर में रंगों की अनोखी परंपरा पर भी इस बार चुनावी पहरेदारी रहेगी। 30 मार्च को रंगपंचमी आ रही है। इस दिन राजवाड़ा और गेर के मार्ग पर अनुमानित पांच लाख शहरी जुटते हैं। इस भीड़ को भुनाने से नेताओं को परहेज करना होगा। रंगपंचमी पर निकलने वाली गेरों में आदर्श आचार संहिता का असर दिखाई देगा। निर्वाचन आयोग के अधिकारी गेरों की निगरानी भी करेंगे। ऐसे में आयोजनों के पोस्टर बैनर से रंग उड़ाती गाड़ियों से नेताओं को दूरी बनाना पड़ेगी।

रंगपंचमी पर गेर की अनूठी परंपरा सिर्फ इंदौर में ही प्रचलित है। ऐतिहासिक परंपरा को यूनेस्को धरोहर में शामिल करने की कोशिश भी बीते वर्षों में हो चुकी है। परंपरागत रूप से पांच से सात संगठन बीते वर्षों से गेर निकालते हैं। इनमें संरक्षक से लेकर आयोजक के रूप में भी राजनेता जुड़े होते हैं। गेर के कारवां और गाड़ियों पर राजनेता न केवल खुद के प्रचार के लिए तमाम होर्डिंग लगवाते हैं, बल्कि गेर की गाड़ियों पर सवार होकर लोगों पर रंग-गुलाल उड़ाते भी नजर आते हैं।आम चुनावों के बीच आ रही इस रंगपंचमी पर यह परंपरा बदली नजर आएगी। गेर की गाड़ियों से न केवल राजनेताओं के चेहरे गायब हो सकते हैं बल्कि आयोजकों के रूप में उनका नाम भी हटाया जाएगा।

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