मध्य प्रदेश के राजस्व रिकार्ड में कई जगह भूमि स्वामी के नाम की जगह बड़ी-छोटी बहू या मझले भैया जैसे प्रचलित नाम दर्ज हैं। इन नामों की वजह से जब प्रधानमंत्री किसान सम्मान, फसल बीमा सहित अन्य योजनाओं का लाभ देने के लिए आधार से सत्यापन किया जाता है तो नाम का मिलान नहीं होने की वजह से समस्या आती है। जबकि, वे वास्तव में योजना के लिए पात्र होते हैं। राजस्व रिकार्ड में दर्ज ऐसे त्रुटिपूर्ण नामों को अब सुधारा जाएगा।
यदि भूमि शासकीय है तो उसे शासकीय और निजी है तो भूमि स्वामी का नाम अंकित किया जाएगा। इसके लिए एक नवंबर से प्रदेश में भू-अभिलेख शुद्धीकरण अभियान में शुरू किया जा रहा है।
आयुक्त भू-अभिलेख ज्ञानेश्वर बी पाटील ने बताया कि राजस्व रिकार्ड में बहुत से भूमि स्वामी के नाम रिकार्ड में दर्ज हैं जिनकी मृत्यु काफी पहले हो चुकी है। नामांतरण के आवेदन प्राप्त नहीं होने की वजह से रिकार्ड में सुधार नहीं हो पाता है। इसी तरह कई जगह रिकार्ड में भूमि स्वामी के रूप में बड़ी बहू, छोटी बहू, मझले भैया आदि प्रचलित नाम दर्ज है। इस त्रुटि को इस अभियान में सुधारा जाएगा।
प्रदेश में आठ लाख 96 हजार 984 खसरे नंबर ऐसे पाए गए हैं, जिनमें भूमि स्वामी के नाम नहीं हैं। जबकि, नियमानुसार खसरे में शासकीय भूमि या निजी भूमि है तो भूमि स्वामी का नाम दर्ज होना चाहिए। 16 लाख सात हजार 595 खसरों के मूल नंबर और बटांकन, दोनों ही रिकार्ड में दर्ज हैं। इसकी वजह से गांव का क्षेत्रफल अधिक दिखाई देता है। जबकि, जब भूमि का बटांकन हो चुका है तो नए नंबर से रिकार्ड दुरुस्त होना चाहिए। इन प्रकरणों में अनावश्यक खसरा नंबरों को हटाया जाएगा।
दावा-आपत्ति का निराकरण करके किया जाएगा सुधार
आयुक्त भू-अभिलेख ज्ञानेश्वर बी पाटील ने बताया कि दो लाख 27 हजार खसरे ऐसे हैं, जिनका वर्गीकरण किसी भी वर्ग में नहीं किया जाएगा है। अभियान में इन्हें चिन्हित करके वर्गीकरण किया जाएगा। खसरों में सुधार के लिए बाकायदा आवेदन लिए जाएंगे। दावा-आपत्ति का निराकरण करने के बाद तहसीलदार के स्तर से आदेश पारित होंगे और फिर रिकार्ड में सुधार किया जाएगा। इस प्रक्रिया को करने के लिए कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं।










































