राज्य सभा में पीएम मोदी का जवाब, भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं जिसकी खाल उधेड़ सकें

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) राज्य सभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दे रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कहा, अच्छा होता कि विपक्ष भी राष्ट्रपति के अभिभाषण को सुनता. साथ ही उन्होंने अभिभाषण सुनने वाले सांसदों का धन्यवाद देते हुए कहा, ’50 से अधिक सांसदों ने 13 घंटे से अधिक समय तक अपने विचार व्यक्त किए, उन्होंने अपने अमूल्य विचार व्यक्त किए. इसलिए, मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं.’

राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान हुए हंगामे पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘अच्छा होता कि राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सब होते तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती. लेकिन राष्ट्रपति जी के भाषण की ताकत इतनी थी कि न सुनने के बाद भी बात पहुंच गई. उन्होंने साफ कहा कि भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है जिसकी कोई भी खाल उधेड़ सक.

पीएम मोदी ने कहा, पूरा विश्व अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच. लेकिन जो देश युवा हो, जो देश उत्साह से भरा हुआ हो. जो देश अनेक सपनों को लेकर संकल्प के साथ सिद्धि को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हो वो देश इन अवसरों को कभी जाने नहीं दे सकता. उन्होंने कहा, ये भी सही है जब पूरे विश्व पटल की तरफ देखते हैं, भारत के युवा मन को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि आज भारत एक अवसरों की भूमि है. अनेक अवसर हमारा इंतजार कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सभा में कि पूरी दुनिया चुनौतियों से जूझ रही है. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इन सबसे गुजरना होगा. इस दशक के प्रारंभ में ही हमारे राष्ट्रपति ने संयुक्त सदन में जो उद्बोधन दिया, जो नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला था. यह उद्बोधन आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला था.

कविता के जरिए विपक्ष पर निशाना
उन्होंने कहा कि हम सबके लिए ये भी एक अवसर है कि आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। यह पर्व कुछ कर गुजरने का होना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि आजादी के 100वें साल यानी 2047 में हम कहां होंगे. आज दुनिया की निगाह हम पर है. जब मैं अवसरों की चर्चा कर रहा हूं, तब मैथिलीशरण गुप्त की कविता कहना चाहूंगा- अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है. तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है, पल-पल है अनमोल, अरे भारत उठ, आंखें खोल. उन्होंने कहा कि मैं सोच रहा था, 21वीं सदी में वो क्या लिखते- अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा, हर बंदिश को तोड़, अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़.

पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के दौरान कोई किसी की मदद कर सके, ये मुश्किल हो गया. एक देश दूसरे देश को, एक प्रदेश दूसरे प्रदेश को, एक परिवार दूसरे परिवार की मदद नहीं कर पा रहा था. करोड़ों लोगों के मर जाने की बातें कहीं जा रही थीं. एक अनजाना दुश्मन क्या कर सकता था, इसकी उम्मीद नहीं थी. इसे कैसे डील कर सकते हैं, ये भी पता नहीं था. हमें रास्ते खोजने थे, बनाने थे, लोगों को बचाना था. उन्होंने कहा कि हमें ईश्वर ने जो बुद्धि सामर्थ्य दिया, उससे लोगों को बचाने में सफल हुए. दुनिया इसकी दाद दे रही है. विश्व के सामने गर्व करने में क्या जाता है.

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