कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Pran Pratishtha) समारोह में जाने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस के इस फैसले की देशभर में चर्चा है। वैसे राम मंदिर (Ram Mandir) मुद्दे पर कांग्रेस शुरू से दुविधा की स्थिति में रही है। कभी मस्जिद का पक्ष लिया, तो कभी मंदिर का समर्थन किया। यहां पढ़िए टाइमलाइन
राजीव गांधी के दौर में खुले थे ताले
विवादित स्थल के ताले 1986 में खोले गए थे, जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। यह बात और है कि बाद में राजीव गांधी के तत्कालीन सहयोगियों ने तर्क दिया कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी।
तीन साल बाद राजीव गांधी सरकार ने ही विहिप को विवादित स्थल पर शिलान्यास करने की अनुमति दी थी।
90 के दशक तक राम मंदिर मुद्दा गर्मा गया था और इसमें भाजपा की एंट्री भी हो गई थी। कांग्रेस को इसका आभास हो गया था। यही कारण है कि 1991 में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र में मंदिर का उल्लेख किया गया था और कहा गया था कि पार्टी बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किए बिना मंदिर के निर्माण के पक्ष में है।
एक साल बाद प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने सार्वजनिक रूप से मस्जिद के निर्माण की प्रतिबद्धता जताई थी।