नगर के वारासिवनी लालबर्रा रोड स्थित सिद्ध प्राचीन रामदेव बाबा मंदिर में 23 दिसंबर को गीता जयंती महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी सद्गुरु श्री श्री 108 हरिऊँ ब्रम्हचारी महाराज जी की कृपा वह सूक्ष्म संरक्षण में आयोजित किया गया। जिसमें भगवान श्री कृष्णजी की अमृत वाणी गीता जी का प्रागट्य उत्सव गीता जयंती पर विद्वान वक्ताओं का व्याख्यान कार्यक्रम रखा गया है वही गीता का पाठ करने के बाद आरती कर कार्यक्रम का प्रसाद वितरण कर समापन किया गया। इसमें मान्यता है कि जिस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था उस दिन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी इसीलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। गीता जयंती के दिन उपवास करने से मन पवित्र होता है और शरीर स्वस्थ रहता है साथ ही समस्त पापों से भी छुटकारा मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म और कर्म को समझाते हुए उपदेश दिया था। महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण के द्वारा जो उपदेश दिए गए उसे गीता कहा जाता है। गीता के उपदेश में जीवन जीने, धर्म का अनुसरण करने और कर्म के महत्व को समझाया गया है। गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी हर साल जयंती मनाई जाती है। गीता को श्रीमद्भगवद्गीता और गीतोपनिषद के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गीता के उपदेशों का अनुसरण करने से समस्त कठिनाइयों और शंकाओं का निवारण होता है।
गीता में श्रीकृष्ण के द्वारा बताए गए उपदेशों पर चलने से व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। गीता के उपदेश में जीवन को जीने की कला, प्रबंधन और कर्म सब कुछ है। इसलिए इस दिन गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। पद्मेश से चर्चा में संतोष चौहान ने बताया कि गीता जयंती कार्यक्रम प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी रामदेव बाबा मंदिर में आयोजित किया गया था। जिसमें विद्वान वक्ताओं के द्वारा गीता जी पर अपनी बातें विस्तार पूर्वक रखी गई वही बताया गया कि यह ग्रंथ किस प्रकार हमारे जीवन में उपयोगी है। तत्पश्चात गीता के 12 वे अध्याय का सामूहिक वचन कर आरती के बाद प्रसाद का वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त जनों ने उपस्थित होकर धर्म लाभ अर्जित किया।