आजादी के 75 साल बाद भी आदिवासी समाज की प्रमुख ज्वलंत समस्या का समाधान नहीं होने एवं आदिवासियों को उनके अधिकार सरकार द्वारा नहीं मिलने के कारण अखिल भारती आदिवासी समाज के द्वारा एक राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय नूतन कला निकेतन में आयोजित किया गया
आपको बता दें कि आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी सरकार द्वारा आदिवासी वर्ग के लिए जो उनके अधिकार हैं उन्हें पूर्ण रूप से अभी तक नहीं दिए जाने एवं भारतीय जनजातियों के संवैधानिक ज्वलंत मुद्दों की चुनौतियों को लेकर एक राष्ट्रीय स्तर का संवाद जिले में आयोजित किया गया इस संवाद कार्यक्रम में लगभग 9 प्रदेश से आए सामाजिक बंधुओं एवं मुख्य अतिथियों के द्वारा इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम में आए हुए सभी समाज के बंधुओं से उनके प्रश्नों को सुना और उन पर किस प्रकार से उनका समाधान किया जा सकता है इस पर विशेष रूप से चर्चा की गई कुछ सामाजिक बंधुओं द्वारा बताया गया कि कुछ छोटी-मोटी समस्याओं का तो निराकरण जिला स्तर पर भी हो सकता है किंतु जिला स्तर पर भी किसी अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता है और कहीं ना कहीं आज जो नक्सलवाद पनप रहा है उसके पीछे सरकार का ही हाथ है क्योंकि सरकार चाहे तो इस समस्या का समाधान कर सकती है क्योंकि नक्सलवादी भी हमारे ही बीच के भाई हैं सरकार आखिर क्यों उनकी समस्या का समाधान करना नहीं चाहती है इन सब विषयों पर प्रमुखता से लोगों के द्वारा आए हुए मुख्य अतिथियों से चर्चा की गई और राष्ट्रीय स्तर पर इन सब बातों को रखने को कहा गया
वही महाराष्ट्र से आए एक सामाजिक बंधु के द्वारा बताया गया कि जो सरकार के द्वारा योजनाएं निकाली जाती है वह उन तक क्यों नहीं पहुंच पाती इसका क्या कारण है आखिरकार जो योजना उन्हें मिलनी चाहिए वह अधिकारियों की लापरवाही के चलते उन तक नहीं पहुंच पाती है इन सब बातों पर भी गहनता से चर्चा की गई
एक कार्य नीति तैयार की गई है वह राष्ट्रीय स्तर पर रखी जाएंगी- भुवनसिंह कुराम
इस कार्यक्रम के आयोजन को लेकर भुवनसिंह कुराम अखिल भारतीय आदिवासी परिषद के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि उनकी जो वर्तमान में समस्या है जो कि आजादी के बाद से अभी तक हमेशा से बनी रही है उनके 20 बिंदुओं पर इस संवाद में चर्चा की गई है और जो उनके संवैधानिक अधिकारों का अभी तक क्यों नहीं मिल पाया सब विषयों को लेकर आए हुए लोगो से बात कर रहे हैं और इसमें क्या होना चाहिए ,क्या किया जा सकता है, और कैसे इन सभी अधिकारों को वह लेंगे एक कार्य नीति तैयार की गई है वह राष्ट्रीय स्तर पर रखी जाएंगी और जो उनके समाज के संरक्षक हैं उन्हें पत्राचार कर वाह राष्ट्रपति महोदय के संज्ञान में यह सब विषय को ले जाएंगे और वहां कोर्ट में भी जाएंगे कि आखिरकार क्यों राज्य सरकार और केंद्र सरकार के द्वारा उनके अधिकारों को अभी तक नहीं दिया गया है और शीघ्र ही कोर्ट उन्हें निर्देशित करें कि संविधान में जो आदिवासियों को लेकर अधिकार हैं उन्हें और उन्हें न्याय संगत उन समस्याओं को सुलझाया जाए
अनेक राजनीतिक पार्टियां आई और चली गई- धर्मसिंह मरकाम
आयोजन समिति के अध्यक्ष धर्मसिंह मरकाम के द्वारा बताया गया कि भारत के संविधान ने आदिवासियों को लेकर जो हक और अधिकार दिए हैं उसके बाद भी आज 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी अनेक राजनीतिक पार्टियां आई और चली गई पर उनके द्वारा हमारी प्रमुख समस्याओं पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया जबकि देखा जाए तो सत्ता परिवर्तन तो हुआ पर उनके जो हक अधिकार को लेकर परिवर्तन होना था वह आज तक नहीं किया गया जबकि किसी भी पार्टी के जनप्रतिनिधियों द्वारा आज तक आदिवासियों के व्यवस्था परिवर्तन को लेकर आज तक कोई भी कार्य नहीं किया गया जिसको देखते हुए जितनी उनकी आजादी के बाद की ज्वलंत समस्या है उनको लेकर के राष्ट्रीय स्तर पर एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया और उस संवाद कार्यक्रम के माध्यम से जो कमियां हैं उन कमियों को पूरा करने के लिए आंदोलन की रणनीति संवाद के माध्यम से बना रहे हैं जिसमें सभी लोग की सहमति से और वार्ता कर जो उसका समाधान निकल सकता है उस पर चर्चा की जा रही है