नई दिल्ली: नए वक्फ कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल का बड़ा हिस्सा जल रहा है। त्रिपुरा तक में इस आग में जानबूझकर घी डालने का काम किया गया है। बड़ी बात बात ये है कि देश की संसद से पास एक कानून के नाम पर भड़की हिंसा को रोकने के लिए जिन नेताओं से इसके लिए शांति की अपील की उम्मीद होनी चाहिए थी, वही इसे और भड़काने में लगे हुए हैं। इस काम में बड़ी पार्टियों के नेता लगे हुए हैं और वोट बैंक के चक्कर में कोई उन्हें जुबान बंद रखने तक की कहने की हिम्मत नहीं जुटा रहा। कई रिपोर्ट कहती हैं कि पिछले साल उपद्रवियों ने जो हालात बांग्लादेश में बना दिए थे, कुछ समाज विरोधी लोगों ने आज वैसी ही स्थिति मुर्शिदाबाद और आसपास के इलाकों में पैदा कर दी है। सबसे बड़ा सवाल है कि अगर कोई जिम्मेदार नेता इन दंगों को लेकर भड़काऊ बयान दे रहा है या दे चुका है तो उसपर कार्रवाई कब होगी?