न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी मधुसूदन जंघेल की बैहर की अदालत ने वन प्राणी तेंदुआ की खाल अवैध रूप से रखने के मामले में आरोपी नान्हूलाल मात्रे 62 वर्ष को 3 वर्ष की सश्रम कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किए। विद्वान अदालत ने ग्राम बकरकटटा जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़ निवासी को धारा 39/51 वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध में दोषी पाया
सहायक जिला अभियोजन अधिकारी विमल सिंह ने घटना के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि 7 अप्रैल 2002 की रात 10 बजे बिरसा दमोह सामान्य वन परिक्षेत्र के वन कर्मचारी रात्रि में गस्ती के लिए निकले थे। जब लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह दमोह में पहुंचे। तब एक व्यक्ति अंधेरे में संदिग्ध अवस्था में दिखाई दिया, उसे आवाज देकर रोकने पर वह भागने का प्रयास करने लगा जिसे घेरकर पकड़े। पूछताछ में इस व्यक्ति ने अपना नाम नान्हूलाल मात्रे ग्राम बकरकटटा जिला राजनांदगांव निवासी बताया।
इस आरोपी के पास सीमेंट की बोरी के थैले में कुछ सामान रखा हुआ था ।जिसे चेक करने पर थैला में वन्य प्राणी तेंदुआ का चमड़ा मिला। आरोपी नान्हूलाल से तेंदुआ का चमड़ा रखने और परिवन करने के संबंध में अनुज्ञा पत्र पूछने पर उसने नहीं होना बताया ।आरोपी के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया। विवेचना उपरांत परिवाद बैहर की विद्वान अदालत में पेश किया गया था।
इस मामले में अभियोजन की ओर से पैरवी पंजाब सिंह सहायक जिला अभियोजन अधिकारी बैहर द्वारा की गई थी।