वित्‍त मंत्री जगदीश देवड़ा का कवि रूप आया सामने, कहा- गरीबी से उठा हूं, गरीबी का दर्द जानता हूं

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मध्‍य प्रदेश विधानसभा में बजट प्रस्‍तुत करते समय वित्‍त मंत्री जगदीश देवड़ा का कवि रूप भी सामने आया। आत्‍मनिर्भर मध्‍य प्रदेश का सपना पूरा करने का विश्‍वास जताते हुए उन्‍होंने कहा कि तब तक हम न रुकेंगे, न थकेंगे।

आजादी के अमृत महोत्‍सव अवसर पर अमर बलिदानियों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए वे बोले –

राह संघर्ष की जो चलता है,

वो ही संसार को बदलता है।

जिसने रातों की जंग जीती है,

सूर्य बनकर वही निकलता है।

वंचित वर्गों का सर्वांगीण विकास करने का वचन देते हुए वित्‍त मंत्री ने कहा –

गरीबी से उठा हूं,

गरीबी का दर्द जानता हूं।

आसमां से ज्‍यादा,

जमीं की कद्र जानता हूं।

उन्‍होंने अपने बजट भाषण में संत रविदास को भी याद किया –

ऐसा चाहूं राज मैं,

जहां मिले सबन को अन्‍न।

छोटबड़ो सब सम बसे,

रविदास रहे प्रसन्‍न।

सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया: की भावना व्‍यक्‍त करते हुए वित्‍त मंत्री बोले –

दीप बन जलते रहें,

पुष्‍प बन खिलते रहें।

लोक मंगल के लिए,

चलते रहें, चलते रहें।

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