नगर के वार्ड नंबर 25 प्रेम नगर में स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय उद्यान में एकता महिला मंडल के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह सोमवार से शुरु जारी हैं।जहा कथा का वाचन, बम्हनी बंजरा मंडला के कथा व्यास पंडित परिणित कृष्णा दुबे द्वारा किया जा रहा है। कथा के छठवें दिन शनिवार को महाराज ने गोवर्धन पूजा और दही हांडी की कथा का विस्तृत वर्णन किया गया। महाराज ने कथा सुनाते हुए बताया कि द्वापर युग में ब्रजवासी पहले इंद्र देवता की पूजा अर्चना करते थे, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को गोवर्धन की पूजा अर्चना करने के लिए कहा गया। इस बात से क्रोधित होकर इंद्र देवता ने ब्रज में भारी वर्षा कर तबाही मचाने का प्रयास किया। इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने कनिष्ठ उंगली में गोवर्धन पर्वत को एक सप्ताह तक उठाया। महाराज ने बताया कि गाेवर्धन पर्वत को गिरीराज जी पर्वत भी कहते हैं।
हनुमान जी ने दिया था गोवर्धन पर्वत को वचन
महाराज ने बताया कि त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमान को पूरी वानर सेना के साथ लंका जाना था, परंतु विशाल समुद्र से लांगना बड़ा मुश्किल था। इसलिए समुद्र पर सेतु का निर्माण करने प्रभु श्रीराम ने सभी वानर सेना को आदेश दिया था कि शीला व पर्वत लेकर लाओ। उससे समुद्र पर सेतु निर्माण करना है। इसी दौरान हनुमान जी भी गोवर्धन पर्वत को लेकर सेतु निर्माण के लिए उठाकर ले आ रहे थे। तभी सेतु का निर्माण पूरा हो गया। जिस पर प्रभु ने सभी को निर्देश दिए थे कि जहां पर जो शीला व पर्वत लेकर आ रहे है उसे वहीं स्थापित कर दें। हनुमान जी भी गोवर्धन पर्वत को लेकर ब्रज तक पहुंच गए थे। जहां पर पर्वत को रखकर वचन दिया था कि त्रेतायुग में उन्हें प्रभु श्रीराम के दर्शन नहीं करवा पाए, लेकिन द्वापर युग में अवश्य हो जाएंगे। इसके अलावा दही हांडी के बारे में विस्तार से कथा का वर्णन किया गया। कथा के दौरान श्रीकृष्ण की जीवंत झांकी गोवर्धन पर्वत उठाए हुए श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रही। आज 14 जनवरी को रुक्मणि विवाह व रास लीला कथा वर्णन किया जाएगा।