समय बदला सत्ता बदली पर नपा के हालत अब तक नहीं बदले, शायद यही वजह है की लाख कोशिशो के बावजूद भी नपा की वित्तीय स्थिति मजबूत नहीं हो पा रही है. और “आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया” जैसी बरसों पुरानी इस कहावत आज भी नगरपालिका की वर्तमान स्थिति पर एकदम सटीक बैठ रही है। जहां जरूरत से ज्यादा नियम विरुद्ध कर्मचारियों की भर्ती तो कर ली गई है लेकिन अब उन कर्मचारियों को वेतन/मानदेय देने में प्रशासनिक अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। वही आमदनी कम और खर्चा अधिक होने के चलते अब शासन की स्थिति भी डगमगा गई है। शायद यही वजह है की नगरपालिका मे कार्य करने वाले दैनिक, नियमित और विनियमित कर्मचारियो को पिछले 3 -4 माह का बकाया वेतन /मानदेय का भुगतान नहीं हो पाया है जिसके चलते उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नपा मे कार्य करने वाले ज्यादातर कर्मचारियों का वेतन /मानदेय बकाया है. जहाँ करीब 1से सवा करोड़ रु का भुगतान कर्मचारियों को अब तक नहीं मिला है
स्वीकृत पद 542, भर्ती कर लिए 856 से अधिक कर्मचारी
आपको बताए कि नगरपालिका बालाघाट में 542 पद स्वीकृत है जिसकी तुलना में नगर पालिका में 856 कर्मचारियों की भर्ती की गई है। इसके अलावा ऐसे कई कर्मचारी रखे गए हैं जिनका कोई लेखा-जोखा भी नहीं है। इन आंकड़ों पर गौर किया जाए तो नगरपालिका में लगभग दुगने कर्मचारी काम कर रहे हैं. जहाँ लगभग दुगने कर्मचारी होने के बावजूद भी नगर की साफ सफाई, सड़क, बिजली, पानी, नाली आदि मूलभूत सुविधाओं के लिए भी नागरिकों को तरसना पड़ रहा है। वहीं अधिक कर्मचारी होने के चलते इन्हें मानदेय देने में करीब 1 करोड़ 49 लाख रुपए लग रहे हैं।जबकि इतनी अधिक आमदनी नगरपालिका की नहीं है।आमदनी कम होने और खर्च अधिक होने के चलते कर्मचारियों की जल्द ही छटनी किए जाने की आशंका जताई जा रही है।
नपा संचालन करने में प्रतिमाह 3 से सवा 3 करोड़ रुपए का आ रहा खर्च
प्रतिमाह लाखों रुपए का टैक्स वसूलने वाली नगरपालिका का प्रतिमाह का खर्च करोड़ों में है। जिसके चलते कर्मचारियों के वेतन देने में नगरपलिका की स्थिति डगमगा गई है।आमदनी ना होने के चलते कई कर्मचारी ऐसे हैं जिनका 3-4 माह तक पेमेंट नहीं हो पाता। प्राप्त जानकारी के अनुसार आदर्श क्रमिक संरचना के तहत बालाघाट नगरपालिका में 542 पद स्वीकृत है. जिसमें शासन द्वारा नियमित 91 पद हैं, तो वहीं शासन द्वारा 197 वीनियमित कर्मचारियों की भर्ती की गई है।इसके अलावा मस्टोल पर 568 कर्मचारी भर्ती किए गए हैं।ऐसे में स्वीकृत पद 542 की जगह 856 कर्मचारियों की भर्ती कर ली गई है। जो काफी अधिक है।ऐसे में शासन को प्रतिमाह नुकसान उठाना पड़ रहा है। सूत्र बताते हैं कि अधिक संख्या में अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती शासन के नियमों के विरुद्ध की गई है।वहीं बिना स्वीकृति के मस्टोल कर्मचारियों को काम पर रखा गया है। जिसके चलते नगरपालिका को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन कर्मचारियों द्वारा कार्य में लापरवाही बरती जा रही है वही इसमें कुछ कर्मचारी प्रतिमाह लाखों रुपए का टैक्स वसूलने का काम करते हैं जिसके एवज में इन सभी कर्मचारियों को करीब 1 करोड़ 49 लाख रुपए का भुगतान करना पड़ता है जो आमदनी से काफी अधिक है ।इसके अलावा अन्य कार्य जैसे वाहनों का डीजल, बिजली बिल ,विभिन्न प्रकार के मेंटेनेंस, कार्यक्रम ,आयोजन सहित अन्य खर्चो को यदि जोड़ा जाए तो नगरपालिका को प्रतिमाह करीब 3 से सवा 3 करोड़ रुपए का खर्च आता है। जबकि इसकी तुलना में इतनी वसूली नहीं हो पाती।
ब्याज में पैसा लेकर चला रहे काम -कर्मचारीगण
इस पुरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान नपा मे कार्यरत कुछ कर्मचारियों ने नाम और फोटो उजागर ना करने की शर्त पर बताया की ऐसा पहली बार नहीं हुआ है की ज़ब वेतन नहीं मिला हो. बल्कि नपा ने अक्सर समय पर वेतन नहीं मिल पाता कभी-कभी तो दो 3 माह तक वेतन नहीं मिलता. जिससे हमें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि महंगाई का दौर है हर चीज महंगी हो चुकी है ऊपर से समय पर वेतन नहीं मिलता तो हमारी स्थिति दयनीय हो जाती है.वेतन नहीं मिलने के चलते केवल हम ही नहीं बल्कि कई कर्मचारियों द्वारा ब्याज पर कर्ज लिया गया हैं, कर्ज देने वाले भी वसूली के लिए परेशान कर रहे है. हमारी मांग है कि हमें हर महा वक्त पर पेमेंट मिलना चाहिए
राजस्व वसूली और चुंगी के पैसे से करेंगे भुगतान -बीएल लिल्हारे
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान नगरपालिका कार्यालय अधिक्षक बीएल लिल्हारे ने बताया कि शासन द्वारा चुंगी प्रतिपूर्ति की राशि आने में देरी होने की वजह से स्थिति बिगड़ रही है. कुछ कर्मचारियों का पेमेंट हुआ है कुछ अभी बाकी है. किसी कर्मचारी का दो तो कुछ कर्मचारियो का 3 माह का वेतन बकाया है. बरसात होने के चलते हमारी वसूली ठीक से नहीं हो पा रही है. जल्द ही वसूली अभियान चलाकर राजस्व की वसूली की जाएगी वहीं चुंगी प्रतिपूर्ति से प्राप्त राशि से कर्मचारियों का भुगतान कर दिया जाएगा.