पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के केवल दो सप्ताह बचे थे। उस समय अमेरिका को कोषालय विभाग ने टैक्स से संबंधित कुछ नियम जारी किए। नए नियम प्राइवेट इक्विटी कंपनियों की बड़ी जीत थी। इनसे तय हुआ कि 32 लाख करोड़ रुपए की इंडस्ट्री के बड़े अधिकारी करोड़ों रुपए टैक्स देने से बच जाएंगे। इन नियमों को अमेरिकी संसद-केपिटोल में उपद्रव के एक दिन पहले 5 जनवरी को मंजूरी मिली थी। इक्विटी इंडस्ट्री को ट्रम्प सरकार का विदाई तोहफा अन्य पूर्व राष्ट्रपतियों के समय से जारी है।
घोटाले से पर्दा हटाने वाले व्हिसल ब्लोअर्स का दावा है,दर्जनों प्राइवेट इक्विटी कंपनियां टैक्स चोरी में शामिल हैं। वे नियमों में खामियों का फायदा उठा रही हैं। इक्विटी कंपनियों के तीन अधिकारियों ने आंतरिक राजस्व सेवा (आईआरएस) को इन गैरकानूनी तरीकों की जानकारी दे दी थी। लेकिन, विभाग ने कोई कदम नहीं उठाए। इक्विटी कंपनियों ने पार्टनरशिप का जाल फैला रखा है। इन पर इनकम टैक्स नहीं लगता है। अनुमान है, निवेशकों की पार्टनरशिप से एक साल में 5.49 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होता है।
इक्विटी कंपनियों ने अपने मैनेजरों के 8 लाख करोड़ रुपए का इनकम टैक्स बचाने के तरीके निकाल रखे हैं। इन्हें ब्याज और कुछ सौदों की फीस के बतौर भारी धनराशि दी जाती है। यह टैक्स के दायरे में नहीं आती है। उदाहरण के लिए ब्लैकस्टोन ग्रुप के प्रमुख स्टीफन श्वार्ट्जमैन ने पिछले साल चार हजार 467 करोड़ रुपए कमाए थे। वे औसत अमेरिकी पर लागू दर के समान टैक्स देंगे। अनुमान है, अगले दस वर्षों में 9 लाख करोड़ रुपए से अधिक के टैक्स का नुकसान होगा। इधर, राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार ने नियमों की खामियों को दूर करने के लिए कुछ कदम प्रस्तावित किए हैं।