होली पर्व पर रंगों-पिचकारियों व बताशों से गुलजार हुआ मार्केट

0

आपसी दुश्मनी को भुलाकर दोस्ती में रंगने का रंगोत्सव का ५ दिवसीय पर्व होली २४ मार्च से प्रारंभ हो जायेगा और २५ मार्च को पूरे क्षेत्र में धुरेड़ी का पर्व धूमधाम से मनाया जायेगा। होली पर्व को लेकर नगर मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में लोगों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारी प्रारंभ कर लिये लिये है और पर्व को लेकर सभी उत्साहित नजर आ रहे है। वहीं चौक-चौराहों में २४ मार्च को होने वाले होलिका दहन की तैयारी की जा रही है। नगर मुख्यालय में रंग-बिरंगी पिचकारी, गुलालों, टोपियों, मुखौटों व बताशों के मालों से बाजार गुलजार हो चुका है और बच्चों के द्वारा अपनी पसंदीदा पिचकारी, मुखौटे, पोंगा-तुर्रा सहित अन्य खिलौने की खरीदी की जा रही है परन्तु बाजार में रौनक कम नजर आ रही है जिसका मुख्य कारण महंगाई को माना जा रहा है। वहीं २० मार्च को लालबर्रा मुख्यालय का साप्ताहिक बाजार होने के कारण बाजार क्षेत्र में खासी भीड़ नजर आई एवं लोगों ने आवश्यकतानुसार होली पर्व के लिए रंग, गुलाल, पिचकारी एवं अन्य सामग्री की खरीदी भी की है। साथ ही लोगों में होली पर्व को लेकर खासा उत्साह नजर आ रहा है परन्तु लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लग जाने के कारण इस वर्ष होली पर्व में क्षेत्रीयजन पूर्व की तरह देररात्रि तक डीजे नही बजा पायेगें यानि कि इस बार आदर्श आचार संहिता का पालन करते हुए लोगों को होली का पर्व मनाना पड़ेगा। वहीं दुकानदारों का कहना है कि होली पर्व तीन दिन बाद है परन्तु २० मार्च को लालबर्रा का साप्ताहिक बाजार होने के कारण लोगों की खासी भीड़ रही परन्तु व्यापार बहुत कम हुआ है क्योंकि हमारा क्षेत्र कृषि पर आधारित है परन्तु गत दिवस हुई बारिश के कारण किसानों ने दलहन फसलों की कटाई नही कर पाये है और जो लोग बाहर कमाने गये है वे आ नही पाये है एवं रूपयों की कमी व महंगाई बढऩे के कारण पूर्व की तरह खरीदी नही कर पा रहे है। जिसके कारण व्यापारियों का व्यापार मंद चल रहा है, उम्मीद है कि होलिका दहन के दिन २४ मार्च को व्यापार में उछाल आ सकता है। आपकों बता दे कि हिन्दु धर्मालंबियों का ५ दिवसीय रंगोत्सव का पर्व २४ मार्च को होलिका दहन के साथ प्रारंभ हो जायेगा और इस ५ दिवसीय रंगोत्सव का पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। साथ ही हर प्रदेश में इसे मनाने का अलग-अलग तरीका होता है, इस वर्ष २४ मार्च को रात्रि में होलिका दहन होने के बाद दूसरे दिन २५ मार्च को ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं व बुजुर्गोंकी टोलियां निकलेगी जिसके बाद रंग-गुलाल की बौछार होगी। साथ ही होली पर्व में पारम्परिक रूप से ढोल, मंजीरा, टिमकी, करताल की धुन के साथ फाग गाया जायेगा। इस दिन लोग गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर बधाई देंगे। वहीं धार्मिक परंपराओं के अनुसार आज भी शक्कर की चासनी से बनाई जाने वाली माला होली की प्रमुख मिठाई है, ग्रामीण क्षेत्रों में माला को भेंट कर व गले में पहनाने की परम्परा आज भी बरकरार है। बुराई पर अच्छाई की जीत पर मनाया जाने वाला यह पर्व वैसे तो रंगों से मनाया जाता है किंतु वर्तमान समय में रंगों के मिलावटी होने से यह उत्सव थोड़ा फीका पडऩे लगा है जिसमें लोगों के द्वारा रंगों का उपयोग कम कर गुलाल से तिलक लगाने की परम्परा निभाई जा रही है। धुरेड़ी के दूसरे दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है, इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाते है जहां बहन भाई को तिलक लगाकर लंबी उम्र की कामना करती है, फिर दो दिनों तक लोग होली का जश्न मनाते रहते है। यह पर्व परंपरानुसार पंचमी तक मनाया जाता है, धुरेड़ी के दिन ग्रामीणों द्वारा फाग गाकर रंगोत्सव का भरपूर आनंद लिया जाता है। होली पर्व को लेकर नगर मुख्यालय में रंग, पिचकारी एवं बताशों की दुकाने सज चुकी है और क्षेत्रीयजन पहुंचकर खरीदी भी कर रहे है। वहीं बाजार क्षेत्र में रंग-गुलाल, पिचकारी की दुकान लगाने वाले दुकानदारों ने बताया कि इस वर्ष महंगाई में १० प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है और खरीदारी को लेकर खासकर बच्चों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here