२४ सालों से किराये के भवन में संचालित हो रहा महिला एवं बाल विकास विभाग

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नगर मुख्यालय में महिला एवं बाल विकास विभाग का कार्यालय प्रारंभ किया गया है और इस विभाग के माध्यम से नौनिहाल ब’चों एवं महिलाओं के हित में चलाई जा रही योजनाओं एवं आंगनवाड़ी केन्द्रों का संचालन किया जाता है परन्तु कार्यालय प्रारंभ हुए २४ साल बित जाने के बाद भी भवन का निर्माण नही किया गया है। ऐसी स्थिति में महिला एवं बाल विकास विभागÓ का कार्यालय आज भी किराये के आवासीय भवन में फस्र्ट फ्लोर पर संचालित हो रहा है जिसके कारणदूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों से पहुंचने वाली महिलाओं को सीढिय़ां चढऩे व उतरने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है एवं कार्यालय में विभागीय बैठकें वआयोजन नही हो पा रहे है एवं प्रतिमाह मकान मालिक को किराये का भुगतान किये जाने से राजस्व का भी नुकसान हो रहा है साथ ही शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग का कार्यालय प्रारंभ हुए २४ साल बित जाने के बाद भी महिला एवं बाल विकास विभाग का स्वयं का भवन होने के कारण किराये के भवन में संचालित किया जा रहा है। वहीं कई बार अधिकारी-कर्मचारियों के द्वारा शासन को भवन निर्माण के लिए मांग पत्र भी भेजा गया है परन्तु वर्तमान समय तक भवन का निर्माण तक नही किया गया है जबकि क्षेत्रीय विधायक गौरीशंकर बिसेन सहित अन्य जनप्रतिनिधि क्षेत्र में विकास कार्य करने का गाथा सुनाते है परन्तु महिला एवं बाल विकास विभाग भवन विहीन है इस ओर किसी का कोई ध्यान नही है जो समझ से परे लग रहा है। क्षेत्र के जागरूक नागरिकों ने शासकीय विभाग को स्थाई कार्यालय के लिए शासकीय भवन मुहैया करवाने की मांग शासन-प्रशासन से की है।

आपकों बता दे कि वर्ष १९९९ में लालबर्रा ब्लॉक में महिला एवं बाल विकास विभाग का कार्यालय प्रारंभ किया गया है जिसके बाद से अब तक निरंतर किराये के भवनों में ही कार्यालय का संचालन हो रहा है एवं कार्यालय का स्थान कई बार बदला जा चुका है जिसके बाद वर्तमान समय में तहसील पहुंच मार्ग पर स्थित एक नीजी भवन के फस्र्ट फ्लोर पर ६००० रूपये प्रतिमाह किराये पर कार्यालय संचालित है। जहां पर सभाहाल की कमी होने के कारणविभागीय बैठकें नही हो पाती है, अधिकांशत: कार्यालय में महिलाओं का आना-जाना लगा रहता है जिसके कारणसीढिय़ां चढऩे-उतरने में सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को हो रही है। वहीं विभागीय अमले पर नजर डालें तो सुपरवाइजर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका के पद पर पदस्थ महिलाकर्मी कार्यालय में जगह की कमी के कारणअधिकांश बैठकें वआयोजन ग्राम पंचायत स्तर पर ही करवाने को मजबूर है। साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय लालबर्रा के अंतर्गत २५२ आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है और गांव-गांव में आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण तो करवा दिया गया है परन्तु संपूर्ण ब्लॉक में संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों की मॉनिटरिंग व संचालन हेतु मुख्यालय में स्थित विभागीय कार्यालय के लिये क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने २४ वर्षों में शासकीय भवन की स्वीकृति तक नही दिलवा पाये है। जबकि इस कार्यालय से महिला बाल विकास विभाग के अलावा स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कार्यों और योजनाओं का संचालन किया जाता है एवं हितग्राहियों को शासन का लाभ दिलवाया जाता है परन्तु किराये के भवन में कमरों के अभाव एवं सुविधा नही होने के कारण अधिकारी-कर्मचारी को कार्य करने में परेशानी हो रही है।

बैठक के लिए नहीं है सभाकक्ष

विकासखण्ड में स्थित २५२ आंगनवाड़ी केन्द्र में पदस्थ कार्यकर्ताओं को शासकीय योजनाओंं की जानकारी और विभागीय कार्यों की समीक्षा के लिए बैठक आयोजित करने के लिए किराये के भवन में सभाकक्ष भी नही है ऐसी स्थिति में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को जनपद पंचायत एवं अस्पताल के सभाकक्ष में बैठक लेना पड़ता है एवं सभाकक्ष के अभाव में उनकी बैठके भी प्रभावित होती है। साथ ही आंगनवाड़ी केन्द्रों के नौनिहालों, गर्भवती महिला व किशोरी बालिकाओं को वितरण होने वाले पोषण आहार को रखने के लिए गोदाम भी नही है।

खाली पड़े है शासकीय भवन ….
नगर मुख्यालय में जनपद पंचायत के नवीन भवन का निर्माण होने जाने के बाद से जनपद पंचायत का पुराना भवन खाली पड़ा हुआ है जहां एक बड़ा सभाहाल भी मौजूद है, पुराने जनपद पंचायत के आसपास के पुराने जर्जर कमरों को तोड़कर तीन कक्षों का भवन निर्माण करवा दिया जो तो महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय का संचालन इस स्थान पर किया जा सकता है इसके अलावा उत्कृष्ट विद्यालय के सामने सामुदायिक भवन भी खाली है जहां महिला एवं बाल विकास विभाग का कार्यालय आसानी संचालित हो सकता है परन्तु जिम्मेदारों के द्वारा इस ओर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में खाली पड़े शासकीय भवन के बाद भी किराये के बिल्ंिडग में महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय का संचालन किया जा रहा है जिससे शासन को राजस्व नुकसान हो रहा है क्योंकि कमरा किराया प्रतिमाह ६००० रूपये देना पड़ रहा है।

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