इमरान चाहते हैं इस्लामोफोबिया पर पश्चिम को जवाब दें मुस्लिम देश, उलेमाओं से की अपील

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इस्लामाबाद : प्रधानमंत्री इमरान खान ने दुनिया के सभी मुस्लिम देशों से इस्लामोफोबिया के खिलाफ आवाज बुलंद करने और इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने की पश्चिमी देशों की ‘साजिश’ के खिलाफ खड़ा होने की अपील की है। सोमवार को उलेमा सम्मेलन को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा कि वह अन्य लोगों की तुलना में पश्चिमी देशों को बेहतर ढंग से समझते हैं और वह समय-समय पर सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस्लामोफोबिया का मुद्दा उठाते आए हैं। उन्होंने उलेमाओं से भ्रष्टाचार के बारे में लोगों को जागरूक करने की अपील की।

सोच के खिलाफ खड़ा होने की जरूरत-इमरान
जियो टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘पश्चिमी देश अपने सुविधानुसार इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ते आए हैं लेकिन पिछले 20 वर्षों में इस सोच के खिलाफ मुस्लिम देश खड़े नहीं हुए हैं और जवाब नहीं दिया है। मुस्लिम देशों को अब पश्चिमी देशों की इस सोच के खिलाफ खड़ा होने की जरूरत है और यह बताने की जरूरत है कि आतंकवाद के साथ इस्लाम अथवा किसी और धर्म का कोई संबंध नहीं है।’   

पश्चिमी देशों ने अपना नरेटिव खड़ा किया
इमरान ने कहा कि चरमपंथी सभी समाज में पाए जाते हैं लेकिन पश्चिमी देशों ने इसके लिए ‘चरमपंथी इस्लाम’, ‘इस्लामिक चरमपंथ’ कहना शुरू किया। यहां तिक कि आत्मघाती हमलों को इस्लाम के साथ जोड़ा लेकिन मुस्लिम नेताओं ने इस सोच या नजरिए की खिलाफत नहीं की। धीरे-धीरे पश्चिमी देशों ने अपने ‘नरेटिव’ बना लिया और स्थिति बिगड़ती चली गई।  

पश्चिमी देशों में मुस्लिमों को बनाया जाता है निशाना
इमरान ने आगे कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जापान ने अमेरिकी युद्धपोतों पर आत्मघाती हमले किए लेकिन किसी ने उनके धर्म को आतंकवाद से नहीं जोड़ा। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों सहित दुनिया भर के मुसलमान इस्लामोफोबिया का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘पश्चिमी देशों में मुस्लिम महिलाएं जब हिजाब पहनकर घरों से बाहर निकलती हैं तो लोग उनको ताना मारते हैं। इसी तरह दाढ़ी रखने वाले मुसलमानों के लिए अपमानजनक शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं।’ इमरान खान ने कहा कि वह इस्लामोफोबिया के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहेंगे। 

‘रियासत ए मदीना’ के बारे में लोगों को बताएं
सम्मेलन को संबोधित करते हुए इमरान ने कहा कि पाकिस्तान के निर्माण में धार्मिक विद्वानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और ये आज भी अपना अहम योगदान दे रहे हैं। इसलिए इन विद्वानों को ‘रियासत ए मदीना’ के बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग जब अच्छे और बुरे के बीच भेद करना भूल जाते हैं तो समाज विनाश की तरफ बढ़ने लगता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है, उलेमाओं को इस बारे में भी लोगों को जागरूक करना चाहिए।  

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