मध्य प्रदेश के जबलपुर अंचल में स्थित उमरिया जिले के स्व सहायता समूह की महिलाओं ने ईको फ्रेंडली राखियां तैयार की हैं। ये राखियां इसलिए बेहद खास हैं क्योंकि इन्हें बांस से तैयार किया गया है। ये राखियां पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगी क्योंकि इन्हें जब विसर्जित किया जाएगा तो पानी में ये राखियां एक निश्चित समय के बाद घुल जाएंगी। राखियों के निर्माण में जनपद पंचायत पाली और मानपुर के स्व सहायता समूह की महिलाओं ने भूमिका निभाई है। इन महिलाओं को राखी बनाने के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराया गया, इसे तैयार कर राखी बनाईं और उसे बाजार में उतारा। इन राखियों को अच्छा बाजार मिल रहा है। ये राखियां फैंसी राखियों के मुकाबले सस्ती और बेहद आकर्षक भी हैं।
कच्चा सूत और बांस की कला : इन ईको फ्रेंडली राखियों को बनाने के लिए कच्चे सूत और बांस को छीलकर उसकी बहुत पतली पट्टियों का इस्तेमाल किया गया है। बांस की पट्टियों से आकर्षक फूल बनाए गए हैं। इस पर आकर्षक रंगों का इस्तेमाल करके इन्हें सजाया गया है। प्रेरणा स्वसहायता समूह व सरस्वती स्वसहायता समूह और दिशा स्वसहायता समूह की महिलाओं ने राखी बनाने का काम शुरू किया है। इन्होंने 16 से 20 रुपये की कीमत की राखी तैयार की है। सामान्य तौर पर बाजार में मिलने वाली राखी कीमत 30-40 रुपये से शुरू होती है।Ads by Jagran.TV
10 हजार से ज्यादा निर्माण : स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि उन्होंने दस हजार से ज्यादा राखियों का निर्माण किया है। राखियां बनाने के लिए अलग-अलग समूहों की करीब 25 महिलाएं लगातार काम करती रहीं। राखी बनाने वाली संध्या विश्वकर्मा, गीताबाई, मिथिलेश बाई, पदमा देवी ने बताया कि राखियों के निर्माण के लिए अलग-अलग स्तर पर काम हुए और तब जाकर राखी तैयार हुई।
चाइना राखी पर भारी : बाजार में चाइना की राखियां उपलब्ध हैं। लेकिन यह स्वदेशी राखियां चाइना राखियों पर भारी पड़ रही हैं। कलात्मक दृष्टिकोण से यह राखियां चाइना की राखी से ज्यादा आकर्षक है। बांस की पतली पट्टियों को पुष्प का आकार देकर जिस तरह से राखियों को सजाया गया है वह लोगों को लुभा रहा है। प्रोफेसर महेशानंद स्वामी ने बताया कि बांस पानी में गलने लगता है और घुल जाता है। बांस से बनाई राखियां इको फ्रेंडली हैं और जब उन्हें विसर्जित किया जाएगा तो वह पानी में घुलकर पानी को साफ करने का काम करेंगी। उमरिया जिले में बांस से राखी बनाने का यह एक नया और अनोखा प्रयास है जिसे लोगों ने पसंद भी किया है।