क्‍या है राइट टू हेल्‍दी फूड, जिसकी मांग करते हुए दो लड़कियों ने विश्व प्रसिद्ध मोनालिसा पेंटिंग पर फेंका सूप

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दो क्लाइमेट एक्टिविस्ट ने रविवार को पेरिस के लौवर म्यूजियम में मोनालिसा की पेंटिंग पर सूप फेंका। दोनों लड़कियों ने पेंटिंग के करीब जाने के लिए लगे सिक्योरिटी बैरियर को पार करते हुए ये काम किया। ये सूप पेंटिंग की हिफाजत के लिए उसके सामने लगाए गए कांच पर गिरा। दरलअसल, इन दोनों का मकसद अपने एक अभियान की तरफ लोगों का ध्यान दिलाना था। उनके पेंटिंग के पास जाने या सूप फेंकने से ज्यादा अहम उनकी नारेबाजी और लोगों से किए गए सवाल हैं। सूप फेंकने के बाद उन्होंने एक टिकाऊ खाद्य प्रणाली की मांग करते हुए नारे लगाए।

इन लड़कियों ने मोनालिसा की पेंटिंग के सामने खड़े होकर चिल्लाते हुए लोगों से सवाल किया कि ज्यादा जरूरी क्या है? कला या फिर भोजन का अधिकार? हमारी खेती बुरे हाल में है, पूरी प्रणाली बीमार है। हमारे किसान मर रहे हैं और कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। अपनी वेबसाइट पर फूड रिपोस्टे ग्रुप ने कहा कि फ्रांसीसी सरकार जलवायु परिवर्तन को लेकर अपने वादों को तोड़ रही है। वेबसाइट पर मांग की गई है कि सरकार लोगों को स्वस्थ भोजन तक बेहतर पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ किसानों को अच्छी आय देने के लिए व्यवस्था करे।

क्या है राइट टू हेल्दी फूड

सभी को भोजन मिलने के अधिकार को लेकर दुनिया के कई देशों में बीते कई दशकों से अभियान चलते रहे हैं। बीते कुछ सालों में राइट टू हेल्दी फूड को लेकर भी कैंपेन देखने को मिले हैं। ये अभियान कहता है कि ना सिर्फ भोजन मिले बल्कि सबको ऐसा भोजन मिले तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ना हो। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के मुद्दों पर काम करने वाले एक्टिविस्ट इस मांग को उठा रहे हैं। इनका कहना है कि जिस तरह के केमिकल और तकनीक खेती में इस्तेमाल हो रहे हैं, वो जंगलों को बर्बाद कर रही है और इससे लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि जंगल और किसानों को बचाया जाए।

फ्रांस में किसानों से जुड़े मुद्दों पर हाल के दिनों में काफी विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। फ्रांसीसी किसान अपनी फसल के दाम, लालफीताशाही कम करने और सस्ते आयात से सुरक्षा की मांग के लिए लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान ट्रैक्टरों लेकर सड़कों पर उतरे हुए हैं और पूरे फ्रांस में सड़क जाम कर रहे हैं। उन्होंने सरकारी कार्यालयों के सामने भी प्रदर्शन किए हैं। ऐसे में फ्रांस में किसान, खेती और भोजन के अधिकार के मुद्दे इस समय काफी गरम हैं।

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